कमल सेखरी
हम पिछले तीन सप्ताह से अपने इसी कॉलम के माध्यम से निरंतर चेताते आ रहे हैं कि आने वाले कुछ समय में ओमिक्रान के नाम से आ रही कोरोना महामारी की तीसरी लहर बड़ा घातक रूप लेगी और हमारे देश के अधिकांश राज्यों को अपनी चपेट में ले लेगी। हमारे इस निरंतर कहते रहने का कोई असर किसी राजनीतिक दल पर नहीं पड़ा और वो इस दौरान लगातार अपनी जनसभाएं आयोजित करते रहे और आज भी जब हम फिर से चेता रहे हैं तब भी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में राजनेताओं की जनसभाएं हो रही हैं और जगह-जगह रोड शो भी आयोजित किए जा रहे हैं। अब माननीय उच्च न्यायालय ने इस घातक खतरे का अहसास करते हुए मुख्य चुनाव आयोग और केन्द्र सरकार से अपील की है कि वो संभव हो सके तो विधानसभा चुनाव को कुछ समय के लिए टाल दे अन्यथा चुनावी रैलियों पर रोक लगाने पर तुरंत विचार करे। हाईकोर्ट की इस जनहित की इस अपील पर उत्तर प्रदेश सरकार ने यह निर्देश तो दे दिया कि समूचे प्रदेश में अविलंभ रात्री का कर्फ्यू लगाया जाएगा। इसके अलावा यूपी की सरकार और केन्द्र सरकार ने अहतियात बरते जाने के कई और आदेश भी दिए हैं जिनमें यह भी शामिल है कि सार्वजनिक स्थल पर भीड़ एकत्रित किए जाने वाले आयोजनों को रोका जाए। स्कूल-कॉलेजों को कुछ समय के लिए बंद किए जाने पर भी सरकार ने विचार किया है, निजी क्षेत्र के अनेकों अस्पतालों को पत्र लिखकर ओमिक्रान के संभावित संक्रमण से निपटने के लिए पूरी तैयारी करने की हिदायत दी है। लेकिन इन सब आदेशित नियंत्रणों के बीच राजनेताओं की चुनावी रैलियों पर किसी तरह का भी अंकुश लगाने पर न तो केन्द्र सरकार ने विचार किया है और न ही उनमें से किसी प्रदेश सरकार ने जहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं उन्होंने ऐसा कोई कदम उठाया जो इन चुनावी रैलियों को रोकने के प्रयासों का संकेत भी दे रहा हो। हालांकि क्रिसमस पर्व और नए साल के आयोजनों पर सरकारी रोक लगा दी गई है लेकिन चुनावी रैलियां बदस्तूर जारी हैं।
अब जब हम यह लिख रहे हैं उस दौरान भी यूपी के कुछ जिलों में चुनावी रैलियां चल रही हैं। गाजियाबाद में भी कल सुबह से लेकर रात तक सूबे के मुख्यमंत्री सहित कई बड़े मंत्रियों व भाजपा नेताओं का रोड शो आयोजित किया जा रहा है। अब से लेकर अगले दस दिनों में देश के गृहमंत्री अमित शाह की 23 रैलियां उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित हैं जिन पर अभी तक किसी तरह की रोक लगाने के संकेत नहीं दिए गए हैं। इसके अलावा समाजवादी पार्टी, रालोद, कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों की भी जनसभाएं आने वाले दिनों में होने जा रही हैं, उन पर भी किसी तरह की रोक लगाने की बात नहीं चल रही है। एक तरफ तो हम क्रिसमस पर्व और नए साल के आयोजनों पर रोक लगा रहे हैं। शादी-बारातों में मेहमानों की संख्या को नियंत्रित कर रहे हैं, धारा-144 तक लगाकर पांच से अधिक लोगों के किसी एक स्थान पर एकत्रित होने पर रोक लगाने के आदेश दे रहे हैं। रात्री कर्फ्यू लगाकर रात के सभी आयोजनों पर रोक लगा रहे हैं। लेकिन दिन में हम जनसभाएं आयोजित कर लाखों की भीड़ जुटा रहे हैं और जगह-जगह लंबी दूरी के रोड शो आयोजित कर हजारों-हजार की भीड़ जमा करके नगर-नगर घूमने के आयोजन कर रहे हैं। सारी पाबंदियां , सारे अंकुश और सारे नियंत्रण केवल और केवल सामान्य व्यक्ति के लिए ही निर्देशित हैं और सियासी जनसभाओं और रैलियों में लाखों-लाख की भीड़ जुटाने की कोई रोक नहीं है। सियासी नेताओं के इन स्वार्थी व्यवहारों से तो यही आभास होता है कि राजनेता जनहित की जितनी बातें करते हैं वो सभी खोखली हैं। इससे तो यही जाहिर होता है कि ओमिक्रान जैसे बड़े खतरे की लेशमात्र चिंता किए बिना हमारे ये राजनेता जनसाधारण की जानों को खतरे में डालकर अपने सियासी स्वार्थ पूरे करने में लगे हैं।