- जरूरत होने पर 32 रोगों का निशुल्क उपचार भी उपलब्ध कराया जाता है
- चालू वित्त वर्ष में 2335 बच्चों को उपलब्ध कराया गया उपचार
गाजियाबाद। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत 18 वर्ष की आयु तक जन्मजात रोग, कमियां, बीमारियां और विकास में देरी में श्रेणीबद्ध 32 रोगों की निशुल्क जांच की जाती है और जरूरत होने पर सक्षम फैसिलिटी में निशुल्क उपचार के लिए रेफर किया जाता है। बच्चों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने, संपूर्ण क्षमता पाने के योग्य बनाने के लिए यह कार्यक्रम शुरू किया गया है। सीधे कहा जाए तो आरबीएसके समुदाय के सभी बच्चों को व्यापक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर ने बताया कि अप्रैल से नवंबर, 2021 तक जनपद में आरबीएसके 2335 बच्चों का उपचार करा चुका है।
उन्होंने बताया कि आरबीएसके के तहत जनपद में चार मोबाइल हेल्थ टीम काम कर रही हैं। वर्ष 2021-22 के लिए जनपद में 291 स्कूलों के 41182 बच्चों और 708 आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत 36 हजार 500 बच्चों के स्वास्थ्य की जांच का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। नवंबर माह तक मोबाइल हेल्थ टीम की मदद से 257 स्कूल के 35 हजार 686 और 644 आंगनबाड़ी केंद्रों के 32 हजार 557 बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की जा चुकी है। जांच के दौरान 4 डी के नाम से जानी जाने वाली जन्मजात रोग, कमियां, बीमारियां और विकास में देरी से ग्रस्त बच्चों की पहचान कर विभिन्न स्कूल में कुल 1955 और आंगनबाड़ी केंद्रों पर कुल 569 बच्चों समेत जनपद में कुल 2524 बच्चे चिन्हित किए गए। इनमें से 2335 बच्चों को नवंबर माह तक उपचार उपलब्ध करा दिया गया है। बाकी बच्चों को भी जल्दी ही उपचार उपलब्ध कराया जाएगा।
सीएमओ ने बताया कि बच्चों में पाई जाने वाली जन्मजात कमियों की जल्दी पहचान और उपचार शुरू करने के लिए संजयनगर स्थित संयुक्त जिला चिकित्सालय में अर्ली इंटरवेंशन सेंटर की मदद ली जा सकती है।
अपने शिशु को अर्ली इंटरवेंशन सेंटर जरूर लेकर आएं : डा. रुचि मिश्रा
अर्ली इंटरवेंशन सेंटर की प्रभारी डा. रुचि मिश्रा का कहना है कि जन्म के पहले सप्ताह में ही बच्चे को अर्ली इंटरवेंशन सेंटर में एक बार जरूर दिखाएं। सरकारी चिकित्सालय में प्रसव के दौरान ही इस बारे में जानकारी दी जाती है। उन्होंने बताया बच्चों की जन्मजात कमियों और बीमारियों के बारे में समय से पहचान कर उपचार शुरू कराने के उद्देश्य से ही अर्ली इंटरवेंशन सेंटर की परिकल्पना की गई है। जरूरत होने पर सेंटर में ही बच्चों को थेरेपी दी जाती हैं और यदि कोई उपचार यहां उपलब्ध नहीं है तो उसके लिए सक्षम फैसिलिटी में रेफर करके निशुल्क उपचार उपलब्ध कराया जाता है।