- आईयूसीडी और अंतरा में भी खूब रुचि ले रही हैं महिलाएं
गाजियाबाद। समाज में परिवार नियोजन को लेकर एक आम धारणा यह है कि यह कार्यक्रम जनसंख्या नियंत्रण के लिए चलाया जाता है, जबकि असल में ऐसा है नहीं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य दो बच्चों के बीच सुरक्षित तीन साल का अंतर और अपने संसाधनों के मुताबिक परिवार को नियोजित करने के लिए प्रेरित करना है। दो बच्चों के बीच तीन साल का अंतर मां और बच्चे, दोनों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। यह बातें हापुड़ की मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. रेखा शर्मा ने कहीं।
उन्होंने बताया, परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से जनपद में पुरुष नसबंदी पखवाड़े का आयोजन किया जा रहा है। पहले यह पखवाड़ा 22 नवंबर से चार दिसंबर तक चलाया जाना था लेकिन बाद में शासन के निर्देश पर यह आयोजन 11 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया है। पखवाड़े के दौरान रोजाना ब्लॉक स्तर पर इच्छुक लाभार्थियों के लिए स्थाई और अस्थाई परिवार नियोजन सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. प्रवीण शर्मा का कहना है, स्थाई परिवार नियोजन अपनाने में महिलाएं पुरुषों से कहीं आगे हैं। इस मामले में पुरुषों को भी आगे आना चाहिए और बराबर की जिम्मेदारी निभानी चाहिए। पुरुष नसबंदी एक मामूली सी शल्य क्रिया है। इसका पुरुषों के स्वास्थ्य पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता।
जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ बृजभान ने बताया जनपद में पुरुष नसबंदी पखवाड़े के दौरान अब तक अपना परिवार पूरा कर चुके 22 पुरुषों ने स्वेच्छा से नसबंदी (एनसीवी) कराई है। इनमें से 10 हापुड़ ब्लॉक में, चार-चार धौलाना और गढ़मुक्तेश्वर ब्लॉक में और दो एनएसवी सिंभावली ब्लॉक में हुई हैं। उन्होंने बताया इस दौरान जनपद में पुरुषों से पांच गुना अधिक 114 महिलाओं ने नसबंदी कराकर परिवार नियोजन का स्थाई साधन अपनाया है।
इसके अलावा परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों में 247 महिलाओं ने आईयूसीडी, 188 महिलाओं ने पीपीआईयूसीडी, दो महिलाओं ने पीएआईयूसीडी, 132 महिलाओं ने गर्भ निरोधक इंजेक्शन ह्लअंतराह्व लगवाया है। 303 महिलाओं को गर्भनिरोधक गोली छाया, और 312 को माला-एन वितरित की गई। इसके अलावा 141 ईसीपी और 12 हजार से अधिक कंडोम वितरित किए गए।