- साथिया केंद्र ने इस साल 2126 किशोरों को दिखाई राह
- 1935 नशे की लत से परेशान थे और 898 शरीर के ढके अंग पर खुजली से
- अमीर घरों के बच्चों में बढ़ रही है मोबाइल की लत
गाजियाबाद। संजयनगर स्थित संयुक्त जिला चिकित्सालय स्थित साथिया केंद्र किशोरों को अच्छी राह दिखाने के प्रयास में जुटा है। इसके लिए साथिया केंद्र में नशे या मोबाइल की लत वाले किशोरों की काउंसलिंग की जाती है। इसके अलावा किशोरावस्था में शरीर में आने वाले बदलावों को लेकर जो किशोर परेशान रहते हैं और अपने माता-पिता से संकोच वश बात नहीं कर पाते हैं, ऐसे मुद्दों पर भी काउंसलर की मदद ली जा सकती है। काउंसलर मुकेश कुमार यादव बताते हैं, शहर में इन दिनों किशोरों में एक अलग तरह के नशे की लत बढ़ती जा रही है, यह नशा शराब, गांजा व हेरोइन से भी अधिक खतरनाक है। बच्चे हर जगह आसानी से मिलने वाले टाइल चिपकाने के लिए इस्तेमाल होने वाले गम (एरोलाइट) ?को सूंघकर नशा कर रहे हैं। इस नशे की चपेट में 10 से 15 वर्ष के बच्चे अधिक हैं। साथिया केंद्र में एक साल में 2126 बच्चों के परिजन काउंसलिंग कराने के लिए पहुंचे। इनमें 1935 बच्चों में नशे की प्रवृत्ति और 896 बच्चे ऐसे थे जिनके शरीर के ढके अंग पर खुजली की परेशानी थी। जबकि संपन्न घरों के बच्चों में मोबाइल से गेम खेलने के आदी हो रहे हैं।
यह होता है असर
न्यूरोफिजिशियन डॉ. राकेश कुमार का कहना है कि नशा करने के बाद किशोर कही भी घंटों शांत बैठे रहते हैं। चार -पांच बच्चे अगर एक जगह बैठे भी हैं, तो आपस में बात तक नहीं करते हैं। खुद में सिमटे रहते हैं। यह नशा सेवन करने वाले को शिथिल कर देता है। सोचने समझने की शक्ति खत्म हो जाती है। किसी से बात करने का मन नहीं करेगा। नशे के आदि एक बच्चे ने बताया सूंघने के बाद शरीर हल्का हो जाता है। रंग बिरंगी तस्वीर नजर आती है। बोलने का मन नहीं करता है। मन करता है कि कहीं अकेले में बैठा रहूं।
हृदय व फेफड़े पर पड़ता है असर
एमएमजी जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. आरपी सिंह का कहना है इस नशे के सेवन से हृदय व फेफड़े पर ज्यादा दुष्प्रभाव पड़ता है। लगातार सेवन करने से जान भी जा सकती है। डॉ आरपी सिंह ने बताया किसी भी चिपकाने वाले गम में रासायनिक तत्व होता है। बच्चे नशे के लिए जोर से सूंघते हैं, इससे रासायनिक तत्व सीधे फेफड़े में पहुंच जाते हैं। लगातार सेवन से वही रासायनिक तत्व पानी में तब्दील हो जाता है, फेफड़े में सूजन आ जाती है, तंत्रिका तंत्र व हृदय पर इसका सीधा दुष्प्रभाव होता है। समय पर इसका इलाज नहीं हुआ तो मौत भी हो सकती है।
कई जगह जुटते हैं इसके आदी
साथिया केंद्र पर पहुंचे रोहित (बदला हुआ नाम) ने बताया उनका भाई गम सूंघने लगा था। जानकारी होने पर उसका इलाज कराया गया। हमेशा उस पर नजर रखी जाती है। रोहित ने बताया उनका भाई शहर के अच्छे पब्लिक स्कूल में 8वीं में पढ़ता है। छात्र के स्कूल बैग में हमेशा बोनफिक्स का पैकेट रहता था। जानकारी नहीं थी, इसलिए शक नहीं होता था, जब उसकी तबीयत खराब हुई तो इलाज के दौरान डॉक्टर ने बताया यह कोई नशा करता है। पता करने पर इसकी जानकारी हुई कि वह बोनफिक्स सूंघता है। पूछताछ करने पर पता चला कि उसके कई दोस्त मिलकर सूंघते हैं।
पांच साल में साथिया केंद्र पर काउंसलिंग कराने पहुंचे बच्चे व किशोर
वर्ष – काउंसलिंग हुई – नशा करने वाले – शरीर के ढके हुए अंग पर खुजली
2017 – 3980 2750 650
2018 – 4100 – 2894 703
2019 – 4426 3184 912
2020 – 900 756 312
2021 – 2126 1935 896