स्वास्थ्य

विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान के तहत 1288 ड्रेन की हुई सफाई

  • स्कूलों में रैलियों और प्रभातफेरियों के जरिए वेक्टर जनित रोगों के प्रति किया जागरूक
  • मच्छर जनित बीमारियों के लिए अब भी मौसम संवेदनशील , सचेत रहें
    गाजियाबाद।
    डेंगू और मलेरिया जैसी वेक्टर जनित बीमारियों पर काबू पाने के उद्देश्य से हापुड़ जनपद में 19 अक्टूबर से 17 नवंबर तक विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया गया। इसके तहत मलेरिया विभाग की टीमों ने 433 गांवों को मच्छर पनपने (ब्रीडिंग) से मुक्त कर संचारी रोगों पर अंकुश लगाने का काम किया। हापुड़ के जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) सतेंद्र कुमार ने बताया कि इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र के 1107 और शहरी क्षेत्र के 181 ड्रेन साफ कराए गए। पूरे जनपद में लगातार फॉगिंग और एंटी लार्वा का छिड़काव कराने के साथ ही संवेदीकरण अभियान भी चलाया गया।
    आमजन के संवेदीकरण के लिए हापुड़ में 630 स्कूलों ने रैली निकाली और ग्राम प्रधानों के नेतृत्व में 279 प्रभात फेरी निकाली गईं। इतना ही नहीं सुअरबाड़ों के मालिकों के साथ स्वास्थ्य विभाग ने 457 संवेदीकरण बैठकें कीं और उन्हें साफ-सफाई व सेनेटाइजेशन के लिए प्रोत्साहित किया। डीएमओ सतेंद्र कुमार ने कहा कि विभाग की ओर से लगातार आम जन को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने जनपद वासियों से अपील की है कि विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान के दौरान बरती गई सावधानी को अपने व्यवहार में उतारें और मच्छर जनित बीमारियों से बचाव के लिए सचेत रहें।
    मच्छर जनित बीमारियों के लिए अब भी मौसम संवेदनशील है, अपने घर के आस-पास साफ-सफाई का लगातार ध्यान रखें और पानी जमा न होने दें। डेंगू और मलेरिया के मामले कम हुए हैं लेकिन अब भी सतर्कता की जरूरत है। ध्यान रहे डेंगू का मच्छर साफ और ठहरे हुए पानी में ही पनपता है। इसके लिए थोड़ा सा पानी भी बहुत है। अपने कूलर, फ्रीज की ट्रे और घर में रखे फूलदानों आदि में नियमित रूप से पानी बदलते रहें।
    डीएमओ के मुताबिक ग्राम प्रधानों को बताया गया है कि वह अपने-अपने गांव में मच्छर की ब्रीडिंग न होने देने के लिए क्या करें और क्या न करें। गांव में यदि किसी को जुकाम, खांसी या फिर बुखार है तो उसे तुंरत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर लेकर जाएं। ग्रामीणों को यह भी बताएं कि चिकित्सक के परामर्श के बिना वह कोई दवा न खाए़ं। मच्छरों से बचाव के लिए पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें और रात में सोने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें।

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