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कोरोना की लहर से है बचना, मचा न दे फिर से कोहराम

नई दिल्ली। एक बार फिर कोरोना संक्रमण तेजी से आगे बढ़ रहा है। पिछले वर्ष इसी मार्च माह में कोरोना ने कहर बरपाना शुरू किया था जो एक बार फिर से मुंह बाय खड़ा हो गया। कोरोना की रफ्तार कम होने पर हम लापरवाह हो गए और सोचा कि कोरोना जा चुका है लेकिन कोरोना की वैक्सीन आने के बाद से कोरोना फिर से अपने कदम तेजी से बढ़ा रहा है। याद कीजिए, पिछले साल के अप्रैल, मई, जून महीने। रोजाना नए संक्रमण सामने आने के ट्रेंड इसी तरह देखे जा रहे थे। चूंकि तब शुरूआत एक से हुई थी तो रोजाना वृद्धि का क्रम छोटी संख्या से हो रहा था और पीक पर जाने यानी 97654 मामले एक दिन में आने के लिए 11 सितंबर तक का वक्त लगा। इस पीक तक हम महामारी से मुकाबले को लेकर तन, मन और धन से तैयार हो चुके थे। लिहाजा हमारी एहतियात और सावधानियों से रोजाना नए मामलों में गिरावट आने लगी। जैसे-जैसे रोजाना मामले कम हो रहे थे, समाज के कुछ लोगों की स्वच्छंदचारिता से जुड़ी बेचैनी बढ़ने लगी थी। बिना मास्क के लोग घूमना शुरू कर चुके थे। शारीरिक दूरी के मानक का उल्लंघन सरेराह देखा जा सकता था। आखिरकार वह दिन भी आया जब रोजाना के नए मामले दस हजार से भी नीचे चले गए। इस साल 15 फरवरी को कुल नए मामले 9139 पर सिमट गए। अब तक हम यह मान चुके थे कि महामारी के ताबूत में आखिरी कील ठोकी जा चुकी थी। देश में चरणबद्ध तरीके से वैक्सीन भी लगाई जानी शुरू हो चुकी थी। लिहाजा कुछ लोगों को महामारी के नियम-कानूनों से बंधकर रहने में ऊबन होने लगी। इसी ऊबन ने फिर से नए मामलों में वृद्धि शुरू कर दी। दिन ब दिन बढ़ते हुए ये 60 हजार से ऊपर जा चुके हैं। टीकाकरण में तेजी आई है। चूंकि कोरोना से हुई मौतों में 88 फीसद से अधिक लोग 45 साल के ऊपर हैं, लिहाजा इस संवेदनशील आयुवर्ग को कोरोनारोधी करने के लिए एक अप्रैल से टीकाकरण शुरू हो जाएगा। देश में इस आयुवर्ग में 34 करोड़ लोग हैं। इसलिए कोरोना की वैक्सीन को लगवाना बेहद जरूरी है। मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंस का पालन भी हमें करना है। यदि हमने अहतियात नहीं बरती तो फिर से कोरोना हमें अपनी गिरफ्त में ले सकता है। 

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