लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिला पंचायत त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था की सर्वाेच्च संस्था है। जिला पंचायत अध्यक्ष जनपद का प्रथम नागरिक है। प्रदेश के प्रत्येक जनपद के जिला पंचायत अध्यक्ष 15 लाख से लेकर 65 लाख तक की आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। अनेक देशों की आबादी भी इतनी नहीं है। इसलिए आप सब जिला पंचायत अध्यक्ष की प्राथमिकता जनविश्वास पर खरा उतरने की होनी चाहिए। आप सब प्राथमिकता तय कर उसके अनुसार कार्य करेंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी। उन्होंने कहा कि आप सबकी कार्य पद्धति का आदर्श एवं प्रेरणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्य पद्धति होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री प्रदेश के नवनिर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्षों के एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण का अपना महत्व है। प्रशिक्षण, पारस्परिक संवाद से एक-दूसरे के अनुभव से परिचित होने तथा जहां भी कुछ अच्छा घटित हो रहा है, उसे अंगीकार करने का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि नया और अच्छा सीखने की इच्छा व्यक्ति को निरन्तर बेहतर बनाती है। अच्छा शिक्षक जीवनपर्यन्त अच्छा छात्र बनने का प्रयास करता है।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के जिला पंचायत अध्यक्षों में 56 प्रतिशत महिलाओं की संख्या होने की प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि जिला पंचायत के रूप में निर्वाचित प्रत्येक व्यक्ति का अपना कार्यक्षेत्र एवं पृष्ठभूमि है। परिवार के संचालन में विशिष्ट संवाद एवं समन्वय की जरुरत पड़ती है। इसका महिलाओं का अपना अनुभव होता है। जिला पंचायतों को इसका लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि शीर्ष संस्था से जाने वाला संदेश क्षेत्र पंचायत, ग्राम पंचायत से होता हुआ अन्तिम पायदान के व्यक्ति तक जाएगा। इसे ध्यान में रखते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष अधिकारियों के साथ पारस्परिक संवाद एवं समन्वय के साथ कार्य करें।
29 सौ करोड़ की राशि कराई गई है उपलब्ध
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में जिला पंचायतों में 29 सौ करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध है। इसका तेजी से सदुपयोग विकास कार्यों में किया जाना चाहिए। इस सम्बन्ध में विभिन्न कार्यक्रमों के अन्तर्गत शासन द्वारा निर्गत दिशा-निर्देशों के अनुसार शीघ्र कार्ययोजना तैयार कर उसके अनुरूप कार्य प्रारम्भ किया जाना चाहिए। मुख्य विकास अधिकारी/जिला अधिकारी के साथ संवाद कर कार्ययोजना बनाकर लोगों के जीवन में व्यापक परिवर्तन ला सकने वाले कार्यों को मूर्तरूप दिया जाना चाहिए।
जिला पंचायत को अपनी आय बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। जिला पंचायत के पास अपनी भूमि, बाजार आदि अनेक संसाधन हैं। जिला पंचायत आत्मनिर्भर हो जाएं तो जनपदवासियों के लिए उपयोगी सुविधाएं स्वयं विकसित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शीघ्र ही मातृभूमि योजना प्रारम्भ करने जा रही है। इस योजना के तहत ग्राम सचिवालय, सामुदायिक केन्द्र जैसे निर्माण कार्यों में स्थानीय लोगों का सहयोग लिया जाएगा। निर्माण कार्य पर व्यय होने वाली आधी धनराशि सरकार तथा आधी सम्बन्धित व्यक्ति व्यय करेगा। संस्था का संचालन दोनों मिलकर करेंगे। जिला पंचायत भी इस दिशा में कार्य कर सकती है।
जिला पंचायत द्वारा कांजी हाउस का संचालन किया जाता है। कांजी हाउस को गोरक्षा और गोसंवर्धन के रूप में संचालित किया जाना चाहिए। विभिन्न जनपदों में जिला पंचायत द्वारा गोवंश आश्रय स्थलों का संचालन किया जा रहा है। इन स्थलों पर गोवंश के बेहतर रख-रखाव, चारे, साफ-सफाई, गोवंश को सर्दी व गर्मी से बचाने की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। इस कार्य में जिला प्रशासन का भी सहयोग लिया जाना चाहिए। प्रत्येक ग्राम पंचायत में गो आधारित खेती के साथ-साथ गोबर गैस को ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गो आधारित खेती से उत्पन्न उत्पाद आरोग्यता का माध्यम बन सकते हैं।
पंचायतीराज मंत्री भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि संविधान में 73वें संविधान संशोधन के पश्चात जिला पंचायत को संवैधानिक दर्जा मिला। इससे जिला पंचायत को ग्रामीण विकास के लिए कार्य करने की धुरी बनने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि पंचायतों द्वारा विगत 03 वर्षों में अपने कार्यों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने में सफलता मिली है।
कार्यक्रम के अन्त में पंचायतीराज राज्यमंत्री उपेन्द्र तिवारी ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया तथा कार्यक्रम के सम्बन्ध में संक्षिप्त परिचय दिया। कार्यक्रम के दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष बुलन्दशहर, जिला पंचायत अध्यक्ष फर्रुखाबाद, जिला पंचायत अध्यक्ष मेरठ, जिला पंचायत अध्यक्ष जालौन एवं जिला पंचायत अध्यक्ष फतेहपुर ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर विभिन्न जनपदों के जिला पंचायत अध्यक्ष, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।