- जीपीए ने यज्ञ पूर्ण होने पर मुख्यमंत्री के नाम 10 सूत्रीय मांगों को लेकर जिलाधिकारी को सौपा ज्ञापन
गाजियाबाद। गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने प्रदेश के निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा कोरोना काल में जारी लूट एवं शिक्षा के व्यापारीकरण पर चुप्पी साधे केंद्र और प्रदेश सरकार की बुद्धि शुद्धि के लिये जिलाधिकारी कार्यालय पर यज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ में अभिभावकों ने यज्ञ के हवन कुंड में प्रज्जवलित अग्नि एवं मंत्रों के उच्चारण से मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी तक अपनी पीड़ा पहुंचाने के लिये 10 सूत्रीय मांगों के निवारण के लिये जिला अधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा।
डीएम को दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि कोरोनाकाल में लगभग 18 महीने से भी ज्यादा समय से बंद रहे प्रदेश के निजी शिक्षण संस्थानों की फीस आॅन लाइन शिक्षा के आधार पर निर्धारित कर वसूली गई पूरी फीस से आॅन लाइन शिक्षा की निर्धारित फीस वापस करने का आदेश पारित किया जाये।
कोरोना की वैश्विक महामारी में प्रदेश के निजी शिक्षण संस्थानों के पास करोड़ों रुपयों के रूप में सरप्लस फंड मौजूद है जिसकी सत्यता की पुष्टि निजी शिक्षण संस्थानों की पिछले 10 साल की बैलेंस शीट की जांच द्वारा की जा सकती है। साथ ही निजी शिक्षण संस्थानों के संचालकों द्वारा एक शाखा से अर्जित प्रॉफिट से प्रदेश में अनेकों शाखा खोल दी गई हैं। बावजूद इसके इनको कोरोना से प्रभावित मान लिया गया और आम अभिभावक जिनकी इस वैश्विक महामारी से आर्थिक रूप से कमर टूर चुकी है को नजरअंदाज कर पूरी फीस वसूली करने का मौका दिया गया। क्या यह प्रदेश के अभिभावकों के साथ अन्याय नहीं है, कृप्या पुन: विचार करें।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों को विश्वस्तरीय बनाया जाये साथ ही प्रदेश में सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त ज्यादा से ज्यादा सरकारी स्कूल खोले जाये जिससे कि प्रदेश के अभिभावकों को इंग्लिश मीडियम सरकारी स्कूलों में बच्चों को भेजने का विकल्प मिल सके और निजी स्कूलों पर निर्भरता कम हो सके।
प्रदेश के प्रत्येक सांसद और विधायक को 5 सरकारी स्कूल गोद देकर उनकी दशा सुधार विश्वस्तरीय बनाने की जिम्मेदारी दी जाए जिससे कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों का कायाकल्प हो सके।
प्रदेश के प्रत्येक जिले में कम से कम एक-एक सैनिक स्कूल खोला जाये जिससे कि प्रदेश के बच्चों द्वारा राष्ट्र के निर्माण में अहम भूमिका निभाई जा सके।
शिक्षा अधिकारियों की उदासीनता के कारण निजी स्कूलों द्वारा नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार (आरटीई) के तहत चयनित बच्चों को एडमिशन नहीं दिए जाने पर ऐसे स्कूलों की मान्यता तत्काल प्रभाव से रद्द की जाए साथ ही शासनादेश का पालन नहीं कराने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्यवाई सुनिश्चित की जाए।
अधिकारियों और निजी स्कूल संचालकों की मिलीभगत के कारण प्रदेश में बने फीस अधिनियम 2018 का दुरउपयोग करते हुए प्रदेश के निजी स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस में वार्षिक शुल्क सहित अन्य शुल्कों को जोड़कर कंपोसिट फीस बना दिया गया जिसके कारण फीस कम होने की बजाए बढ़ गई और फीस अधिनियम 2018 का प्रदेश के अभिभावकों को कोई लाभ नहीं मिला प्रदेश के निजी स्कूलों की मनमानी बदस्तूर जारी है आप से निवेदन है कि जिले में गठित जिला स्तरीय शुल्क नियामक समिति के अध्य्क्ष जिलाधिकारी को सख्त आदेश कर वार्षिक शुल्क सहित अन्य शुल्कों को ट्यूशन फीस से अलग कर फीस बढ़ोतरी पर अंकुश लगाने का आदेश पारित किया जाए।
उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले में जिला स्तरीय शुल्क नियामक समिति गठित करने के आदेश पारित कर उच्चस्तरीय निगरानी कमेटी का भी गठन किया जाए जिससे कि अधिकारियों और निजी स्कूल संचालकों की मिलीभगत पर अंकुश लगाया जा सके और प्रदेश के अभिभावकों को फीस अधिनियम 2018 का लाभ मिल सके।
प्रदेश के निजी स्कूलों में छात्र-छत्राओं के मानसिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली सस्ती एवं सुलभ एनसीईआरटी की पुस्तकें (पाठ्यक्रम) सुनिश्चित किया जाए।
प्रदेश के निजी स्कूलों का रजिस्ट्रेशन सोसाइटी एक्ट से हटाकर कंपनी एक्ट में संशोधित करने का आदेश पारित किया जाए क्योंकि प्रदेश के निजी स्कूलों द्वारा शिक्षा को समाज सेवा की बजाय शिक्षा का व्यापार बनाकर अंधाधुन्द प्रॉफिट अर्जित किया जा रहा है जिस पर लगाम अतिआवश्यक है।
यज्ञ पूर्ण होने पर जीपीए द्वारा चने और हलवे का प्रसाद वितरण किया गया और प्रतिज्ञा ली गई कि जब तक सरकार निजी शिक्षण संस्थानों की लूट एवं शिक्षा के व्यापारीकरण पर अंकुश नहीं लगाती है तब तक न्याय के लिए लड़ाई इसी तरह जारी रहेगी। इस मौके पर सतपाल चौधरी, अनिल सिंह, उषा, साधना सिंह, रजनी, नवीन राठौर, मनोज वर्मा, जसवीर रावत, नरेश कसाना, ललित कुमार, दिनेश खन्ना, निकुंज डोगरा, मनीष शर्मा, अमित चौधरी, डॉ. राजीव शर्मा, हरेंद्र नेगी, पुष्कर नेगी, जगदीश पटवाल एवं अभिभावक मौजूद रहे।