अध्यात्म

विजय गुप्त कुशल लेखक, चिंतक, साहित्यकार, नाटककार, चित्रकार थे: अनिल आर्य

  • विजय गुप्त का साहित्य में योगदान अविस्मरणीय रहेगा: आर्य रविदेव गुप्ता
    गाजियाबाद।
    केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में आशु कवि विजय गुप्त की प्रथम पुण्यतिथि पर आनलाइन प्रेरणा सभा का आयोजन किया गया।
    केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि विजय गुप्त बहुत अच्छे लेखक थे, इसके साथ ही वह साहित्यकार, नाटककार व चित्रकार भी थे। वह एक राष्ट्रवादी चिंतक थे उन्होंने सिख महापुरुषों पर भी लेखन किया। आजीवन आर्थिक अभाव में जिये पर स्वाभिमानी होने के कारण लेखनी व कविताओं से समझौता नहीं किया उनका जीवन एक आदर्श जीवन रहा।
    अध्यक्षता करते हुए आर्य रविदेव गुप्ता ने कहा कि विजय गुप्त का हर क्षेत्र में योगदान अविस्मरणीय रहा वह महर्षि दयानंद के अनुगामी रहे निर्धन बच्चों की शिक्षा के लिए भी सराहनीय कार्य किया।
    राष्ट्रीय कवि प्रोफेसर सारस्वत मोहन मनीषी ने कहा कि विजय बहुत अच्छे मित्र थे, हमने अनेकों कवि सम्मेलनों में सहभागिता की। उन्होंने कहा कि हमें प्रतिदिन अपने मित्रों को फोन कर हाल चाल पूछते रहना चाहिए, कोरोना ने बता दिया है कि कल का कोई भरोसा नहीं है।
    वैदिक विद्वान आचार्य विद्या प्रसाद मिश्र ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनकी कमी पूर्ति नहीं हो सकती। उनकी सुपुत्री ऋचा गुप्ता ने पिता की स्मृतियों को स्मरण करते हुए आभार व्यक्त किया।
    गायिका प्रवीन आर्या, रजनी चुघ, रजनी गर्ग, प्रवीण आर्य (राष्ट्रीय मंत्री) आदि ने मधुर भजन प्रस्तुत किये। मित्र मंडली से मंसूर अब्दुल्ला (गीता प्रचारक), सरदार ज्ञानेन्द्र सिंह, सुशील गांधी, ओम सपरा, कुसुम भंडारी, सुधा आदि ने भी अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

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