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जीवित माता-पिता का सम्मान ही सच्चा श्राद्ध: स्वामी आर्यवेश

  • आशानंद ने यज्ञ, संस्कृत, शिक्षा का प्रसार किया: अनिल आर्य
    गाजियाबाद।
    केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में आर्य प्रचारक आशानंद शास्त्री का 120 वां जन्मोत्सव आनलाइन उत्साहपूर्वक मनाया गया। मुख्य वक्ता स्वामी आर्यवेश (प्रधान, सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा) ने कहा कि जीवित माता पिता का सम्मान, सेवा ही सच्चा श्राद्ध है। आज टूटते परिवार चिंता का विषय हैं। माता-पिता को दुत्कारा जा रहा है, उन्हें जीवन यापन के लिए कोर्ट की शरण में जाना पड़ रहा है। ऐसे समय में आर्य समाज के कार्यकर्ताओं को समाज में पुन: जीवन मूल्य स्थापित करने होंगे जिसमें माता-पिता व गुरुवों का सम्मान हो, इसके लिए सुसंस्कार देने की आवश्यकता है। यही आशानंद शास्त्री को हमारी सही मायनों में श्रद्धांजलि होगी।
    केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि हमारे बुजुर्ग परिवार व समाज की नींव का कार्य करते हैं। उनके आशीर्वाद से सारे कार्य सुगमता पूर्वक सफल होते हैं। हमारी पुरातन संस्कृति संयुक्त परिवार की रही है जिससे एक दूसरे का सम्मान बना रहता था। परन्तु परिवारों में विभाजन होने से मां को या पिता को अपने पास कौन रखे एक प्रश्नचिन्ह बनता जा रहा है जो सभ्य समाज पर कलंक है।
    मुख्य अतिथि बोधराज सीकरी (प्रधान, जामपुरी बिरादरी) ने कहा कि शास्त्री जी का शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान रहा, उनकी विरासत में निर्धन व पिछड़े वर्ग में शिक्षा की निष्काम सेवा की आवश्यकता है।
    राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि हम माता पिता का ऋण कभी नहीं चुका सकते। आर्य नेता पुष्पा शास्त्री व सुरेन्द्र शास्त्री ने आभार व्यक्त किया। साहित्यकार ओम सपरा, विमलेश बंसल, राजेश मेहंदीरत्ता, रमेश गाडी, आचार्य मेघश्याम वेदालंकार, वंदना सचदेवा ने भी अपने विचार रखे।
    गायिका रजनी चुघ, प्रव ठक्कर, प्रवीन आर्या, रजनी गर्ग, सुदेश आर्या, रेखा गौतम, आशा आर्या, रवीन्द्र गुप्ता आदि ने मधुर भजन प्रस्तुत किये।

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