- विशेष अभियान के दौरान हापुड़ ब्लॉक में 500 पात्र लाभार्थियों का हुआ पंजीकरण
- योजना के तहत पहली बार गर्भवती होने पर तीन किश्तों में मिलते हैं पांच हजार रुपये
हापुड़। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) में पात्र लाभार्थियों के अधिक से अधिक पंजीकरण कराने के लिए एक से सात सितंबर तक चले मातृ वंदना सप्ताह के दौरान जनपद में कुल 1213 पात्र लाभार्थियों का पंजीकरण किया गया। जनपद के हापुड़ ब्लॉक में सबसे ज्यादा 500 लाभार्थियों का पंजीकरण हुआ। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. रेखा शर्मा ने बताया पूरे प्रदेश में ब्लॉक वार रैंकिंग में हापुड़ ब्लॉक पांचवें पायदान पर रहा है। योजना में बेहतर पोषण और स्वास्थ्य की देखभाल के लिए पहली बार गर्भवती होने वाली महिलाओं को तीन किश्तों में पांच हजार रुपये दिए जाते हैं।
पीएमएमवीवाई के नोडल अधिकारी एसीएमओ डा. प्रवीण शर्मा ने बताया हापुड़ ब्लॉक ने निसंदेह अच्छा कार्य किया है। दूसरे ब्लॉक भी इससे प्रेरणा लें। उन्होंने बताया सिंभावली ब्लॉक में दूसरे नंबर 315, धौलाना ब्लॉक में 274 और गढ़मुक्तेश्वर ब्लॉक में कुल 124 लाभार्थियों का पंजीकरण हुआ है। उन्होंने बताया पहली बार गर्भवती/धात्री महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य देखभाल और पोषण के लिए पूरे देश में चलायी जा रही प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना को गति प्रदान के लिए प्रदेश में एक से सात सितम्बर तक प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना सप्ताह मनाया गया। इस सप्ताह को एक उत्सव के रूप में मनाया गया, जिसके तहत सप्ताह के हर दिन अलग-अलग गतिविधियाँ आयोजित की गईं।
डा. शर्मा ने बताया कि सप्ताह के बाद भी योजना में पंजीकरण का कार्य जारी रहेगा। योजना के प्रकोष्ठ कार्यालय में पात्र लाभार्थी पंजीकरण करा सकते हैं। आशा और एएनएम भी योजना के लिए पूर्व की भांति नई लाभार्थियों का पंजीकरण करती रहेंगी। पहली बार गर्भवती होने पर योजना में पंजीकरण के लिए गर्भवती और उसके पति का कोई पहचान पत्र या आधार कार्ड, मातृ-शिशु सुरक्षा कार्ड, बैंक पासबुक की फोटो प्रति देनी होती है। बैंक अकाउंट ज्वाइंट नहीं होना चाहिए । पंजीकरण के साथ ही गर्भवती को प्रथम किश्त के रूप में 1000 रुपये दिए जाते हैं। प्रसव पूर्व कम से कम एक जांच होने और गर्भावस्था के छह माह पूरे होने पर दूसरी किश्त के रूप में 2000 रुपये और बच्चे के जन्म का पंजीकरण होने और बच्चे के प्रथम चक्र का टीकाकरण पूरा होने पर धात्री महिला को तीसरी किस्त के रूप में 2000 रुपये दिए जाते हैं। यह सभी भुगतान लाभार्थी के बैंक खाते में ही किए जाते हैं।