लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकारी आवास पर प्रयागराज कुम्भ-2019 पर केन्द्रित पुस्तक प्रयागराज कुम्भ का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि प्रयागराज कुम्भ पुस्तक शोधार्थियों व जिज्ञासुओं के लिए मील का पत्थर साबित होगी। ज्ञातव्य है कि इस पुस्तक का प्रकाशन भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) द्वारा किया गया है। मुख्यमंत्री ने प्रयागराज कुम्भ पर जनसाधारण को अर्पित इस पुस्तक के सम्पादक पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह को बधाई दी। भारत के ऐसे पौराणिक एवं ऐतिहासिक परम्परा से जुड़े हुए इस विषय पर विशिष्ट शोध के लिए आईसीएसएसआर को धन्यवाद देते हुए कहा कि प्रयागराज कुम्भ पर विशिष्ट शोध को आगे बढ़ाने के लिए एक ऐसे व्यक्ति का चयन किया गया जिसका पूरा जीवन समाज से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए समर्पित रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार अपनी विरासत को संरक्षित करने के लिए कृतसंकल्पित है। यह उनका सौभाग्य है कि प्रयागराज कुम्भ-2019 आयोजित करने का अवसर प्राप्त हुआ। यह आयोजन 15 जनवरी से 4 मार्च, 2019 तक सम्पन्न कराया गया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने धार्मिक और आध्यात्मिक कलेवर के साथ कुम्भ के दौरान वैश्विक स्तर पर स्वच्छता, सुरक्षा व सुव्यवस्था का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रयागराज कुम्भ सामाजिक सद्भावना का भी प्रतीक बना। प्रदेश सरकार ने कुम्भ की विरासत को सर्व सिद्धिप्रद: कुम्भ: के लोगो के माध्यम से प्रचारित किया। दुनिया के सभी दूतावासों में निमंत्रण पत्र इस अनुरोध के साथ भेजा गया था कि उनके देश से कम से कम एक व्यक्ति अवश्य इस कार्यक्रम में सम्मिलित हो।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और सहयोग से प्रयागराज कुम्भ-2019 का दिव्य एवं भव्य आयोजन किया गया। प्रधानमंत्री की मंशा के अनुरूप 450 वर्षों में पहली बार प्रयागराज कुम्भ-2019 में किला स्थित अक्षयवट एवं सरस्वती कूप को श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोला गया। प्रयागराज कुम्भ में 24 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान किया। इतनी बड़ी संख्या की निगरानी के लिए इण्टीग्रेटेड कमाण्ड एण्ड कण्ट्रोल सिस्टम स्थापित किया गया था। प्रयागराज कुम्भ में आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स का प्रयोग किया गया। उन्होंने कहा कि मौनी अमावस्या के अवसर पर 5 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान किया, जो एक रिकॉर्ड था। प्रयागराज कुम्भ के दौरान प्रधानमंत्री जी ने सफाई कर्मियों के पांव पखारे थे। प्रत्येक टॉयलेट को सेप्टिक टैंक से जोड़ा गया था, जिससे दूषित पानी गंगा जी, यमुना जी में न जा सके। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 5 हजार शटल बसें चलायी गयी थीं। कोरोना कालखण्ड के दौरान इन बसों का उपयोग 40 लाख प्रवासी श्रमिकों तथा कोटा, राजस्थान में अध्ययनरत प्रदेश के 14 हजार छात्र-छात्राओं को सुरक्षित उनके गन्तव्य तक पहुंचाने में मददगार सिद्ध हुआ। इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एमएसएमई नवनीत सहगल, आर्थिक सलाहकार मुख्यमंत्री केवी राजू, सूचना निदेशक शिशिर सहित आईसीएसएसआर के पदाधिकारी उपस्थित थे।