अध्यात्म

आर्य युवा यज्ञोपवीत संस्कार समारोह संम्पन्न

  • यज्ञोपवीत माता,पिता व गुरु ऋण से उऋण होने का संदेश देता है: आचार्य महेन्द्र भाई
  • चरित्र निर्माण राष्ट्र की सबसे बड़ी आवश्यकता: डा. आर के आर्य
    गाजियाबाद।
    केन्द्रीय आर्य युवक परिषद एवं वेद प्रचार परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में ज्ञान खण्ड-1, इंदिरापुरम में श्रावणी पर्व के उपलक्ष्य में युवा यज्ञोपवीत संस्कार समारोह का आयोजन किया गया। 51 बच्चों ने दुर्व्यसन त्यागने की प्रतिज्ञा ली और संकल्प लिया कि माता पिता गुरुजनों का सम्मान करेंगे।
    यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य महेन्द्र भाई ने यज्ञ कराया और यज्ञोपवीत धारण करवाया आज के मुख्य यजमान प्रवेश गुप्ता एवं रीना गुप्ता रहे। आचार्य महेंद्र भाई ने अपने उद्बोधन में कहा कि यज्ञोपवीत हमारी पुरातन आर्य संस्कृति का प्रतीक हैं इसकी रक्षा के लिए वीर हकीकत राय ने अपना बलिदान दे दिया था परन्तु हिन्दू धर्म नहीं छोड़ा। यज्ञोपवीत के तीन तार माता, पिता व गुरु जनों के ऋण को स्मरण कराते रहते हैं हमे इनके उपकारों को याद रखते हुए एक आदर व सम्मान करना चाहिए। आज देश मे बढ़ते वृद्ध आश्रम चिन्ता का प्रश्न है यह नयी युवा पीढ़ी में घटते संस्कारों के कारण हो रहा है। हमें संस्कारवान और संस्कारित युवा पीढ़ी का निर्माण करना है। विशेष आमंत्रित स्वदेशी आयुर्वेद हरिद्वार के निदेशक डा. आर के आर्य ने कहा कि हिंदू समाज संगठित हो तभी समाज सुरक्षित रह सकता है। चरित्रवान युवा ही राष्ट्र विरोधी ताकतों का मुकाबला कर सकते हैं क्योंकि चारित्रिक बल ही सबसे बड़ा बल होता है। युवकों को जीवन में समयबद्धता, अनुशासन माता पिता के आज्ञाकारी,आत्मविश्वास, संकल्पवान और देशभक्त होना चाहिए। ऐसे देशभक्त युवकों का परिषद निर्माण करती है। चरित्र निर्माण राष्ट्र की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
    समारोह के मुख्य अतिथि प्रवीण आर्य (प्रांतीय महामंत्री केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उ प्र) ने आॅनलाइन अपने संदेश में कहा कि आर्य समाज बच्चों को चरित्र वान व धार्मिक,देश भक्त बनाने का कार्य करता है।
    समारोह के अध्यक्ष सुप्रसिद्ध समाजसेवी श्री विनोद त्यागी ने कहा व्यक्ति का निज जीवन समाज के लिए आदर्श होना चाहिए आपके जीवन को देखकर ही व्यक्ति आप के अनुगामी बनेंगे उपनयन का अर्थ है समिपता को प्राप्त करना आचार्य की सामिप्यता को प्राप्त करके बालक अपने जीवन को समुन्नत करता है। शिक्षा व्यक्ति को काम करने में समर्थ बनाती है।उपनयन संस्कार मानव निर्माण की आधार शिला है। यज्ञोपवीत के तीन धागे स्व जीवन को समुन्नत बनाना तथा राष्ट्र के लिए भावी संतति को समुन्नत बनाकर देने के व्रत के प्रतीक हैं।प्रत्येक भारतीय का यह संस्कार होना चाहिए। समारोह का कुशल संचालन यज्ञवीर चौहान व ममता चौहान ने किया। उन्होंने समारोह में दूर दूर से पधारे श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से देवेंद्र प्रकाश गुप्ता, वेद प्रकाश आर्य, कृष्ण त्यागी, शोभा राम शर्मा व प्रदीप उनियाल, राजीव कुमार, ओमकार, देवव्रत चौहान, संजीव श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे।

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