चर्चा-ए-आमस्लाइडर

तालिबान को लेकर भारत की खामोशी ही बेहतर है

कमल सेखरी
तालिबान लाख आश्वासन दे कि वो अब पहले वाला तालिबान नहीं रहा है, खुदा की सबसे बड़ी नियामत अफगान की सत्ता हाथ लगने से अब वो बदल गया है और आने वाले दिनों में विश्व के अन्य सभी देशों के साथ दोस्ताना संबंध बनाए रखने की बातें भी कर रहा है। इसके साथ-साथ वो काबुल के स्थानीय नागरिकों को हर तरह का दिलासा दिला रहा है कि वो उनका मित्र बनकर ही उनके बीच में रहेगा लेकिन तालिबान के ये सभी वायदे और दिलासे ना तो दुनिया के गले उतर रहे हैं और ना ही काबुल के नागरिक उस पर विश्वास कर पा रहे हैं। क्योंकि इन्हीं बीते तीन दिनों में उसने काबुल के कई नागरिकों के साथ ऐसी अमानवीय हरकतें की हैं जिससे पूरा अफगानिस्तान सहम सा गया है। दुनियाभर के देश उसके आश्वासनों पर भरोसा नहीं जता पा रहे हैं। चीन, पाकिस्तान, ईरान, तुर्की और रुस जैसे देश छोड़कर अन्य देश अफगानिस्तान में जो बीत रहा है और आने वाले दिनों में वहां जो कुछ और होने की संभावनाएं नजर आ रही हैं उसको लेकर काफी चिंतित हैं। ब्रिटेन सहित अन्य कई और भी युरोपीय मुल्क अफगानी नागरिकों को लेकर मदद करने पर सोच रहे हैं और उन्हें एक सीमित संख्या तक अपने यहां शरण भी देने का मन बना रहे हैं। परंतु इन सबके बीच भारत की स्थिति अभी भी अनिश्चित सी बनी हुई है। भारत की सबसे बड़ी चिंता काबुल और अफगान के अन्य प्रांतों में फंसे भारतियों को वापस लाने की सबसे बड़ी है। इसके अलावा भारत ने जो कई लाख करोड़ रुपए का निवेश करके काबुल में कई विकास कार्य कराए हैं, बड़ी-बड़ी इमारतें बनवाई हैं जिसमें वहां का संसद भवन भी शामिल है। इस निवेश की वापसी कब और कैसे हो यह भी भारत के लिए एक चिंता का विषय है। इतने बड़े निवेश को यूं ही तालिबानियों के हाथ सौंप दिया जाए यह भी भारत नहीं चाहता। भारत की तीसरी सबसे बड़ी चिंता तालिबान के पाकिस्तान और चीन के साथ बने मधुर संबंधों को लेकर भी है। खासतौर पर तब जबकि कई अरब डालर की कीमत के अमेरिकी हथियार तालिबानी लड़ाकुओं के हाथ लग चुके हैं। बताया जाता है कि सौ से अधिक लड़ाकू विमान, 44 अमेरिकी टैंक, 148 अमेरिकी तोपें और 770 सैनिकों की बख्तरबंद गाड़ियां तालिबानी लड़ाकुओं के हाथ लग चुकी हैं। इसके अलावा भारी संख्या में रॉकेट लांचर, स्वचालित मशीनगन और अन्य कई घातक हथियार भी तालिबानी अपने कब्जे में ले चुके हैं। तालिबान को तोहफे के तौर पर मिले ये अरबों डॉलर के अमेरिकी हथियार उसकी ताकत को इतना बढ़ा सकते हैं कि वो किसी भी देश से मजबूती के साथ मुकाबला कर सकता है। भारत की चिंता इन आधुनिक हथियारों से लेस तालिबानी लड़ाकुओं की उस सोच को लेकर है जो कभी भी भारत के खिलाफ कोई कार्रवाई करने का अपना मन बना सकती है। ऐसे में अफगानिस्तान में फंसे भारतियों को वापस लाने की जो चिंता भारत को सता रही है उसके साथ यह चिंता भी परेशान कर रही है कि तालिबानी कभी भी पाकिस्तान और चीन के साथ मिलकर भारत के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर सकते हैं। फिलहाल अफगानिस्तान में फंसे हजारों नागरिकों की सुरक्षा और उन्हें भारत वापस लाने पर भारत दिनरात योजनाएं बना रहा है और तब तक इस मुददे को लेकर अपनी खामोशी साधे रखने में ही अपनी बेहतरी मान रहा है।

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