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नवजात शिशु स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए यशोदा अस्पताल में मनाया गया विश्व स्तनपान सप्ताह

गाजियाबाद। स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी में विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया गया। इस साल इस सप्ताह की थीम-स्तनपान सुरक्षा की जिम्मेदारी, साझा जिम्मेदारी तय की गयी है।
एक अगस्त से प्रारम्भ हुए विश्व स्तनपान सप्ताह को 7 अगस्त तक मनाया जायेगा। इस दौरान हॉस्पिटल में विभ्भिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। प्रसवोपरांत कम से कम 6 महीने के लिए माताओं को स्तनपान के लिए प्रेरित एवं जागरूक किया जा रहा है। नवजात स्वास्थ्य में स्तनपान की भूमिका पर एक कार्यशाला का भी आयोजन फेसबुक लाइव के माध्यम से किया गया। नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अजीत कुमार एवं नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपिका रस्तोगी ने अहम जानकारियां दीं। कामकाजी महिलाओं को कृत्रिम आहार एवं बोतल से दूध पिलाने के खतरे के बारे में अवगत कराते हुए डॉक्टरों ने बताया कि कृत्रिम आहार एवं बोतल के दूध में पोषक तत्वों का अभाव होता है और यह सुपाच्य नहीं होता। इससे कुपोषण एवं संक्रमण के खतरे, दस्त, सांस के और अन्य संक्रमण के खतरे, बौद्धिक विकास में कमी की सम्भावना और बचपन में मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है , अत: इसे जितना हो सके प्रयोग में नहीं लाना चाहिए। डॉ दीपिका ने बताया कि कामकाजी महिलाएं ब्रेस्ट पंप का प्रयोग कर अपना दूध निकल कर बच्चे को के लिए घर में रख सकती हैं जो कही ज्यादा कारगर और उपयोगी है।
यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी के वरिष्ठ नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अजीत कुमार का कहना है कि शिशु के लिए स्तनपान अमृत के समान होता है । यह शिशु का मौलिक अधिकार भी है । माँ का दूध शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए बहुत ही जरूरी है । यह शिशु को निमोनिया, डायरिया और कुपोषण के जोखिम से भी बचाता है । इसलिए बच्चे को जन्म के एक घंटे के भीतर मां का पहला पीला गाढा दूध अवश्य पिलाना चाहिए । यह दूध बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा करता है, इसीलिए इसे बच्चे का पहला टीका भी कहा जाता है । स्तनपान करने वाले शिशु को ऊपर से कोई भी पेय पदार्थ या आहार नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा रहता है। यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी की ही नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपिका रस्तोगी ने इस अवसर पर बताया कि मां के दूध में शिशु के लिए पौष्टिक तत्वों के साथ पर्याप्त पानी भी होता है। इसलिए छह माह तक शिशु को मां के दूध के अलावा कुछ भी न दें। यहां तक कि गर्मियों में पानी भी न पिलायें। ध्यान रहे कि रात में मां का दूध अधिक बनता है, इसलिए मां रात में अधिक से अधिक स्तनपान कराए। दूध का बहाव अधिक रखने के लिए जरूरी है कि मां चिंता और तनाव से मुक्त रहे। कामकाजी महिलाएं अपने स्तन से दूध निकालकर रखें। यह सामान्य तापमान पर आठ घंटे तक पीने योग्य रहता है। इसे शिशु को कटोरी या कप से पिलाएं। स्तनपान शिशु को बीमारियों से बचाता है, इसीलिए यदि मां या शिशु बीमार हों तब भी स्तनपान कराएं। डॉ. दीपिका का कहना है कि कोविड उपचाराधीन और संभावित मां को भी सारे प्रोटोकाल का पालन करते हुए स्तनपान कराना जरूरी है। वह स्तनपान से पहले हाथों को अच्छी तरह से साफ कर लें और नाक व मुंह को मास्क से अच्छी तरह से ढककर ही दूध पिलाएं। बच्चे को ऐसे में स्तनपान से वंचित करने से उसका पूरा जीवन चक्र प्रभावित हो सकता है। डॉ. दीपिका ने कहा कि यदि केवल स्तनपान कर रहा शिशु 24 घंटे में छह से आठ बार पेशाब करता है, स्तनपान के बाद कम से कम दो घंटे की नींद ले रहा है और उसका वजन हर माह करीब 500 ग्राम बढ़ रहा है, तो इसका मतलब है कि शिशु को मां का पूरा दूध मिल रहा है।

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