- मानव प्रभु की सर्वोत्कृष्ट रचना: आचार्य चंद्र शेखर शर्मा
गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में आयोजित बेबिनार में मुख्य वक्ता आचार्य चन्द्रशेखर शर्मा ने कहा कि मानव जीवन प्रभु की सर्वोत्तम कृति है। आचार्य ने कहा कि विधाता की अनुपम सृष्टि-संरचना में मानवजीवन की रचना, निर्माण, संपोषण, संरक्षण और संवर्धन परम श्रेयस्कर है। न हि मानुषात किञ्चितरं हि श्रेष्ठ अर्थात मानवजीवन ही समस्त प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ है। परमात्मा की प्राकृतिक कृतियों में मानव शरीर के अंगों का निर्माण, कार्य-विभाजन, परस्पर संगतिकरण, सुनिश्चित स्थान का चयन और अनेकता में एकता का अनुभव कराना ही प्रभु की महान कृति का परिचायक है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन की दिव्यता एवं दिव्यशक्ति दिव्य भावों, दिव्य शक्तियों, दिव्य संकल्पों, दिव्य मनोरथों, दिव्य कार्यों और दिव्य प्रेरणाओं का पावनतम महासंगम यह दिव्यता पूर्ण शरीर है। साथ ही जन्म कर्म चमे दिव्यम मेरा जन्म और कर्म दोनों दिव्यतामय हों व मानव जीवन में दिव्यता का महाचक्र हो। आचार्य चन्द्रशेखर शर्मा ने अपनी सरस, सरल एवं रसमयी वाणी में व्याख्यान देते हुए कहा कि हमारे शरीर के निर्माण में पांच महाभूतों का योगदान, आकाश-कान और शब्दग्रहण, वायु-त्वचा और शीतोष्ण का बोधन,अग्नि-नेत्र और रूप का दर्शन,जल -जीभ और स्वाद का अनुभव,पृथ्वी-नाक और गंध का ग्रहण, पाँच ज्ञानेन्द्रियों और पाँच कर्मेन्द्रियों का विभाजन तथा कार्य, मन की संकल्प शक्ति, बुद्धि की विलक्षणता, प्राण की अनवरत गति, हृदय का अबाधगति स्पन्दन, सप्त धातुओं का निर्माण,पंचकोषों का विज्ञान, मूलाधार चक्र से सहस्रारचक्र पर्यन्त दिव्यशक्ति का ऊर्ध्वगमन, अष्टांगयोग की सिद्धि,अपने में अपना दर्शन,अपने में अपना बोध,अपने से अपना उत्थान और अपने बंधनों से अपनी मुक्ति यही सत्यपूर्ण दिव्यता का और परम कैवल्य का पूर्णानन्दमय महापथ है। अध्यक्षता करते हुए मुम्बई आर्य प्रतिनिधि सभा के महामंत्री अरुण अबरोल ने कहा कि नई पीढ़ी के लिए सरल वेद मंत्रों की व्याख्या व रुचिकर कार्यक्रम लाने की आवश्यकता है जिससे वह अपनी वैदिक संस्कृति से जुड़े रहे । केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि मानव कर्म करने में स्वतंत्र व फल भोगने में परतन्त्र है।
राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने आभार व्यक्त करते हुए समापन किया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दार्जलिंग, मेघालय, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, बंगाल,आसाम आदि अनेक राज्यों के आध्यात्मिक श्रोताओं ने भाग लिया। गायिका प्रवीना ठक्कर, रवीन्द्र गुप्ता, जनक अरोड़ा, चंद्र कांता अरोड़ा, सुखवर्षा सरदाना, सुमित्रा गुप्ता, सुनीता बनर्जी, बेदराम शर्मा, विजय लक्ष्मी आर्या,मृदुला अग्रवाल,प्रतिभा सपरा आदि ने भजन सुनाये। प्रमुख रूप से आनंद प्रकाश आर्य, प्रेम सचदेवा, राजेश मेहंदीरत्ता, कैप्टन अशोक गुलाटी, सुदेश डोगरा, ओम सपरा, प्रेम लता गुप्ता, वेद भगत आदि उपस्थित थे।