काठमांडू। नेपाल के कार्यवाहक प्रधान मंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद अब विपक्षी नेता शेर बहादुर देउबा नए प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे।
गौरतलब है कि, हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के कुल 146 सदस्य बीती 24 मई को सुप्रीम कोर्ट एक याचिका लेकर पहुंचे थे। जिसमें मांग की गई थी कि, शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्त कर सदन को फिर से बहाल किया जाए। अदालत में दायर की गई याचिका में नेपाली कांग्रेस के प्रतिनिधि सभा के 61 सदस्य, नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) के 49 सदस्य, सीपीएन-यूएमएल के माधव नेपाल गुट के 23 सदस्य, उपेंद्र यादव-बाबूराम भट्टराई जनता समाजवादी पार्टी के 12 सदस्य और राष्ट्रीय जनमोर्चा नेपाल से एक सदस्य शामिल था।
मालूम हो की मई में प्रधानमंत्री के पद का दावा करते हुए, देउबा ने 149 सांसदों के हस्ताक्षर पेश किए थे। ताकि यह साबित हो सके कि उन्होंने नई सरकार का नेतृत्व करने के लिए बहुमत हासिल कर लिया है, लेकिन अब देउबा को 23 वोटों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। जो की उन्हें पहले माधव नेपाल के सीपीएन-यूएमएल से प्राप्त था। जिसके चलते नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने अनुच्छेद 76 (5) और सदन के विघटन के तहत देउबा को नई सरकार बनाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
वहीं, 10 मई को सदन में ओली विश्वास मत हासिल करने में विफल रहे थे। जिसके बाद राष्ट्रपति ने 13 मई को संविधान के अनुच्छेद 76 (3) के तहत सदन में सबसे अधिक सदस्यों वाली पार्टी का नेता ओली को प्रधान मंत्री नियुक्त कर दिया था।
जानकारी के अनुसार, ओली ने अपने एक बयान में कहा कि, वो अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं जिसके चलते उन्होंने इस्तीफा दे दिया। अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए, राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को देउबा को अब कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त करने का आदेश दिया है।