लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गुरु गोबिन्द सिंह महाराज एक दिव्य महापुरुष थे। उनका इस धराधाम पर आगमन एक निश्चित उद्देश्य के लिए हुआ था। गुरु गोबिन्द सिंह महाराज एक शहीद पिता के पुत्र तथा शहीद पुत्रों के पिता थे। गुरु तेगबहादुर सिंह महाराज ने धर्म, सत्य तथा न्याय की स्थापना के लिए शहादत की जिस परम्परा को प्रस्तुत किया था, उसे आगे बढ़ाते हुए गुरु गोबिन्द सिंह महाराज ने अपने आपको समर्पित कर दिया।
मुख्यमंत्री यहां डीएवी डिग्री कॉलेज में गुरु गोबिन्द सिंह महाराज के प्रकाश उत्सव के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को सरोपा तथा सम्मान चिन्ह भेंट किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय खेलों में पदक प्राप्त करने वाले खालसा इंटर कॉलेज के 6 छात्रों, उनके खेल शिक्षक तथा प्रधानाचार्य को सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु गोबिन्द सिंह महाराज ने हमारे सामने जो उदाहरण प्रस्तुत किये वह आज भी पूरे देश, समाज व हर सिख के लिए प्रेरणा है। उनके 4 पुत्रों-साहिबजादा अजीत सिंह, साहिबजादा जुझार सिंह, साहिबजादा जोरावर सिंह तथा साहिबजादा फतेह सिंह ने देश व धर्म के लिए अपनी शहादत दी। माता गुजरी इस शहादत की प्रत्यक्ष उदाहरण बनीं। इतिहास में ऐसे उदाहरण बहुत कम हैं, जिनमें कई-कई पीढ़ियों ने देश व धर्म के लिए अपने को बलिदान कर दिया। खालसा पंथ की स्थापना मुगल साम्राज्य के पतन का कारण बनी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब साहिबजादा अजीत सिंह व जुझार सिंह युद्ध के मैदान में वीरगति को प्राप्त हुए तब उनकी उम्र बहुत कम थी। साहिबजादा जोरावर सिंह तथा साहिबजादा फतेह सिंह को जिन्दा दीवार में चुनवा दिया गया। उस समय उन पर धर्म परिवर्तन के लिए अनेक दबाव बनाये गये, लेकिन वे विचलित नहीं हुए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2018-19 में गुरु नानक देव महाराज के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास पर महान कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरु गोबिन्द सिंह महाराज के छोटे पुत्रों साहिबजादा जोरावर सिंह तथा साहिबजादा फतेह सिंह की स्मृति में 26 दिसम्बर की तिथि को वीर बाल दिवस के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित करने का निर्णय लिया। आज यह भारत के करोड़ों नौजवानों के लिए प्रेरणा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिख धर्म की नींव बहुत मजबूत है। इस पंथ से जुड़ा हुआ जुझारूपन आज भी देखा जा सकता है। सिख अपने परिश्रम, पुरुषार्थ व सेवा भाव के लिए जाने जाते हैं। सिख समुदाय की देश व धर्म के लिए मर मिटने की एक लम्बी परम्परा है। सभी 10 सिख गुरुओं ने अलग-अलग कालखण्ड में अपनी अलग पहचान बनाकर समाज का मार्गदर्शन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से जुड़े हुए अनेक गुरुद्वारे मौजूद हैं। लखनऊ में गुरु तेग बहादुर सिंह महाराज और गुरु गोबिन्द सिंह महाराज आये थे और यहां उस समय रुके थे। इन स्मृतियों को बनाये रखने और आधुनिक स्वरूप देने के लिए हम सभी को मिलकर कार्य करना है। यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक नई प्रेरणा और मार्गदर्शन का कार्य करेंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि भीषण शीतलहरी के बावजूद यहां आयोजित कार्यक्रम से लोग जुड़े हैं। यह वही प्रेरणा है जिसके बारे में प्रधानमंत्री ने कहा है कि हमें अपनी विरासत का सम्मान करना चाहिए। सम-विषम सभी परिस्थितियों चाहे वह प्रकृति के द्वारा या मनुष्यों के द्वारा उत्पन्न की गयी हो, की परवाह किये बगैर हम अपनी परम्परा और विरासत को हर हाल में बनाये रखेंगे। मुख्यमंत्री ने गुरु महाराज से प्रार्थना करते हुए कहा कि हमें इतनी शक्ति प्रदान करें कि उनके मार्ग का अनुसरण करते हुए देश व समाज के लिए कुछ कर सकें।