इंद्रप्रस्थ नर्सिंग कॉलेज में हुआ कार्यक्रम का आयोजन
सभी छात्र कम से कम 10 लोगों को टीबी के बारे में अवश्य बताएं : डीटीओ
सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं की भी जानकारी दें हापुड़। क्षय रोग विभाग की ओर से बुधवार को इंद्रप्रस्थ नर्सिंग कॉलेज में शिक्षकों सहित विद्यार्थियों का टीबी के बारे में संवेदीकरण किया गया। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह ने बताया-टीबी बैक्टीरिया से होने वाली एक गंभीर बीमारी है, वैसे तो टीबी का पूरी तरह उपचार संभव है, लेकिन लापरवाही करने पर यह बीमारी जानलेवा हो सकती है। डीटीओ ने बताया कि टीबी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है लेकिन यह मुख्यत: फेफड़ों को प्रभावित करती है, इसे पल्मोनरी टीबी कहते हैं। केवल पल्मोनरी टीबी ही संक्रामक होती है। कार्यक्रम में कॉलेज के चेयरमैन डा. विकास अग्रवाल, डा. विपिन गुप्ता और दीपक बाबू का विशेष सहयोग रहा। कॉलेज के प्रधानाचार्य इग्नेश मशी के नेतृत्व में फैकल्टी अक्षय, जॉन, दुष्यंत, एस्थर, मारग्रेट, प्रमोद और संजय भी कार्यक्रम में शामिल रहे। डीटीओ ने बताया कि पल्मोनरी टीबी का एक रोगी सावधानी न रखने और उपचार न होने पर अपने संपर्क में रहने वाले करीब 15 लोगों को संक्रमण दे सकता है। इन 15 लोगों को यदि हम संक्रमण से बचा सकें तो टीबी मुक्त भारत का सपना पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता। इसके लिए टीबी के लक्षण आते ही तुरंत जांच कराएं और रोगी को खुले व हवादार स्थान पर रखें, बंद जगह में रहें तो सुरक्षित दूरी पर रहते हुए मास्क का प्रयोग करें। ध्यान रहे टीबी संक्रमण के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स से फैलता है। डा. सिंह ने बताया कि टीबी के उपचार के लिए कम से छह माह के उपचार की जरूरत होती है। उपचार शुरू होने के दो माह बाद टीबी के रोगी संक्रमण से संक्रमण फैलना बंद हो जाता है। जब कोई व्यक्ति लक्षण नजर आने पर टीबी की जांच नहीं कराता, उस स्थिति में वह निकट संपर्क में रहने वालों को संक्रमण दे रहा होता है । टीबी की जांच और उपचार की सुविधा जनपद में हर स्वास्थ्य केंद्र पर उपलब्ध है। दो सप्ताह से अधिक खांसी, खांसी में बलगम या खून आना, शाम के समय बुखार और रात में सोते समय पसीना आना, वजन कम होना, भूख कम लगना, थकान रहना और सीने में दर्द रहना टीबी के लक्षण हो सकते हैं। डीटीओ ने नर्सिंग के छात्रों से आग्रह किया कि सभी कम से कम 10 लोगों को टीबी के बारे में अवश्य बताएं। उच्च प्रोटीन और विटामिन युक्त पोषण जरूरी : पीपीएम समन्वयक जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने विद्यार्थियों को टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया। टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की निक्षय पोषण योजना के तहत हर क्षय रोगी को उपचार जारी रहने तक सरकार की ओर से हर माह पांच सौ रुपए का भुगतान उसके बैंक खाते में किया जाता है। निक्षय पोषण योजना की यह राशि अच्छे खानपान के लिए दी जाती है। टीबी के रोगी को दवाओं के साथ अच्छा, उच्च प्रोटीन और विटामिन युक्त पोषण लेना भी जरूरी है। इसके अलावा क्षय रोग विभाग स्वयंसेवी संस्थाओं और समाज के सक्षम व्यक्तियों की मदद से भी क्षय रोगियों को पोषण किट उपलब्ध कराता है। वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक (एसटीएस) हसमत अली ने बताया – टीबी होने का एक बड़ा कारण कुपोषण भी है। कुपोषण के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और टीबी समेत कोई भी संक्रामक रोग ऐसे व्यक्ति को अपना शिकार बना लेता है।