- मार्च 2023 तक सूबे में 49 वें नंबर पर था
- प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में हुई समीक्षा में मिले बेहतर इंडीकेटर्स
गाजियाबाद। टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को लेकर जिले की रैंकिंग में सुधार हुआ है। मार्च, 2023 तक गाजियाबाद जनपद सूबे में 49वें पायदान पर था, 16 जुलाई को हुई समीक्षा के दौरान जिले की रैंकिंग सुधरकर 23 हो गई। दरअसल रैंकिंग के लिए अलग- अलग इंडीकेटर्स की स्थिति पर अंक प्रदान किए जाते हैं, इस बार जिले को 100 में से 84 अंक प्राप्त हुए हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर ने बताया कि प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा की अध्यक्षता में हुई समीक्षा में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के सभी इंडीकेटर्स में सुधार पाया गया। सीएमओ ने कहा कार्यक्रम को और बेहतर करते हुए जिले को टॉप -10 जनपदों में शामिल करना है और 2025 तक जनपद को टीबी मुक्त करना है। क्षय रोगियों के सभी परिजन अपनी जांच कराकर और आमजन टीबी के प्रति जागरूक होकर इसमें सहयोग करें। डा. भवतोष शंखधर ने बताया कि 16 जुलाई को शासन स्तर पर हुई समीक्षा में ओपीडी में सबसे ज्यादा लक्षण युक्त (प्रीसंपटिव) संभावित रोगियों का चिन्हांकन और जांच करने के मामले में जिला सूबे में नंबर एक पर रहा है। सूबे में जहां ओपीडी में कुल 12.9 प्रतिशत ऐसे रो?गियों का चिन्हांकन किया गया, जिनके लक्षण टीबी से मिलते – जुलते थे, वहीं जिले में सर्वाधिक 37.9 प्रतिशत ऐसे रोगी खोजे गए। दूसरे नंबर पर प्रयागराज में 33.9 प्रतिशत और तीसरे नंबर पर महाराजगंज में 32.8 प्रतिशत ऐसे रोगियों को चिन्हांकन किया गया। उन्होंने बताया जिले में वर्तमान में 11015 टीबी रोगियों का उपचार चल रहा है, 385 मल्टी ड्रग रजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी रोगी हैं। सीएमओ ने बताया कि जनवरी से जून, 2023 तक जिले में एक लाख आबादी पर सबसे अधिक 2634 लोगों की टीबी जांच की गई, जबकि सूबे में प्रति लाख आबादी पर मात्र 1097 लोगों की टीबी जांच हुई। दूसरे नंबर पर मुजफ्फरनगर जनपद में 1840 और तीसरे नंबर पर एटा में प्रति लाख आबादी पर 1715 की टीबी जांच हुई। उन्होंने कहा – कोविड की तरह अधिक से अधिक जांच कर ही टीबी उन्मूलन किया जा सकता है। दरअसल जांच में देरी होने से रोगी अपने संपर्क में रहने वालों को संक्रमण देता रहता है और संक्रमण की चेन टूट नहीं पाती। उन्होंने बताया – फेफड़ों की टीबी के रोगी अपनों का संक्रमण से बचाव करने के लिए मास्क का प्रयोग करें और परिजनों की भी जांच कराते रहें।
ऐसे मिलते हैं रैंकिंग के लिए अंक
टीबी नोटिफिकेशन – 20 अंक
ट्रीटमेंट सक्सेस रेट – 15 अंक
डीआरटीबी ट्रीटमेंट – 15 अंक
एचआईवी स्क्रीनिंग – 10 अंक
माइक्रोबायोलॉजिकल टेस्टिंग – 10 अंक
निक्षय पोषण योजना – 10 अंक
व्यय – 10 अंक
टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी (पांच वर्ष से छोटे बच्चे) – पांच अंक
टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी (एचआईवी) – पांच अंक
कुल – 100 अंक