कर्नाटका में विधानसभा चुनाव के बाद आज सुबह से ही शान्ति का माहौल बना हुआ है। नतीजों का ऊंट किस करवट बैठेगा वो भी दो दिन बाद यानि की परसों तक पता चल ही जायेगा। चुनावी मैदान में उतरे सभी राजनीतिक दल अपनी- अपनी जीत का दावा ठोक रहे हैं। इनमें भी भाजपा और कांग्रेस अपनी एक तरफा जीत का दावा कर रहे हंै। परिणाम परसों तक सामने आ ही जायेंगे। इस बार के कर्नाटका विधानसभा चुनाव में इन दोनों मुख्य राजनीतिक दलों में अनैतिकता का जो नंगा नाच नाचा है उसे देखकर और सुनकर समूचा देश सकते में है। इन प्रमुख राजनीतिक दलों ने राजनीति के सभी मापदण्डों को सूली पर चढ़कर जो गन्दगी परोसी है उससे पूरा देश शर्मसार हो गया है। देश के सबसे बड़े राजनीतिक दल जो सत्ता पर आसीन है उसके बड़े नेताओं ने भी अश्लीलता के सभी पैमाने तोड़ दिए। राष्ट्र के मुख्य सत्ता पर आसीन सबसे बड़े नेता ने तो अपने सभी भाषणों में विरोधी दलों पर जिस तरह से अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुए आरोप लगाए हंै वैसे आरोप तो उस पद की गरिमा को भी बौना बना देते हैं। ना मालूम कहां से अचानक अकारण ही बजंरग बली को चुनावी मैदान में घसीट कर ले आये और उनकी मर्यादा व आस्था को तार-तार करते हुए उन सबकी भावनाओं को ठेस पहुंचायी जिनकी आस्था और मान्यता प्रभु के रूप में बजरंग बली में निहित है। हिन्दुस्तान की राजनीति में पिछले कुछ सालों से किसी भी राज्य के चुनाव में ना तो मुद्दों की बात होती है ना ही महंगाई और बेरोजगारी को लेकर किसी राजनीतिक दल का चिन्तन नजर आता है। हर चुनाव या तो हिन्दू-मुसलमान की ओर मोड़ दिया जाता है या चुनाव का आधार धार्मिक बनाकर प्रभु राम, शंकर भगवान, बजरंग बली या राधा-कृष्ण को बीच में लाकर उन्हें ही चुनाव का मुख्य आधार बना दिया जाता है। अब हमें देखना है कि हमें अपने देश को किस ओर लेकर जाना है। कर्नाटका के चुनाव परिणाम फैसला कर देंगे कि हम आगे किस ओर जायेंगे, बस दो दिन की बात है, हमें इंतजार करना होगा।