- आईसीडीएस के साथ मिलकर पांच कन्वर्जेंस विभाग करेंगे सहयोग
- ग्राम स्तर पर गठित होंगी पोषण पंचायत, 10-15 महिलाएं होंगी पंचायत सदस्य
हापुड़। इस बार राष्ट्रीय पोषण माह की मुख्य थीम हैं महिला एवं स्वास्थ्य, बच्चा एवं शिक्षा- पढ़ाई भी, पोषण भी। पोषण अभियान के प्रभावशाली क्रियान्वयन के लिए 2018 से प्रत्येक वर्ष सितंबर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जाता है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की पहल पर पांचवें राष्ट्रीय पोषण माह की शुरूआत बृहस्पतिवार से होगी। एक से 30 सितंबर तक चलने वाले पांचवें राष्ट्रीय पोषण माह में समेकित बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के साथ मिलकर पांच कन्वर्जेंस विभाग काम करेंगे। इस संबंध में उत्तर प्रदेश शासन की सचिव अनामिका सिंह की ओर से सभी जिलाधिकारियों को गाइड लाइन भेज दी गई है। जिला कार्यक्रम अधिकारी ज्ञान प्रकाश तिवारी ने बताया कि राष्ट्रीय पोषण माह की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 28 अगस्त के प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में राष्ट्रीय पोषण माह की चर्चा करते हुए कहा है कि कुपोषण की चुनौतियों से निपटने में सामाजिक जागरूकता से जुड़े प्रयास महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने देश वासियों से आग्रह किया है कि पोषण माह में कुपोषण या मॉलन्यूट्रीशियन को दूर करने के प्रयासों में जरूर हिस्सा लें। राष्ट्रीय पोषण माह- 2022 को सशक्त, सबल नारी, साक्षर बच्चा स्वस्थ भारत टैग लाइन दी गई है।
पोषण माह के दौरान ग्राम स्तर पर ग्राम प्रधान की अध्यक्षता वाली समितियों के जरिए पोषण पंचायत का गठन किया जाएगा। समुदाय की एक महिला इसकी अध्यक्ष और 10-15 सदस्य होंगी। पोषण पंचायत का मुख्य उद्देश्य गांव की महिलाओं को सशक्त करते हुए समुदाय के बच्चों और किशोरियों को पोषित व स्वस्थ रखना है। पोषण पंचायत, ग्राम सभा की अधीनस्थ समिति के रूप में काम करेगी। पोषण पंचायत की सदस्य प्रत्येक माह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मौजूदगी में बैठक का आयोजन करेंगी और संबंधित आशा कार्यकर्ता को भी बैठक में बुलाया जाएगा। बैठक में अनुपूरक पुष्टाहार की गुणवत्ता, सतत वितरण, गर्भवती महिलाओं की जांच, कुपोषित गर्भवती और पोषण परामर्श की समीक्षा की जाएगी। इसके अलावा पोषण पंचायत के जरिए नवजात शिशुओं के साप्ताहिक वजन, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के द्वारा गृह भ्रमण की स्थिति, जन्म के समय कम वजन, पांच वर्ष से कम आयु के कुपोषित बच्चों की संख्या, उसके कारण, पोषण व्यवहार में कमी, सेवाओं की पहुंच और उपलब्धता की भी निगरानी होगी।
संभव अभियान के पहले चरण में जून, जुलाई और सितंबर माह में चिन्हित किए गए तीव्र अतिगंभीर कुपोषित (सैम) व गंभीर अल्प वजन वाले बच्चों को अन्य विभागों से समन्वय करते हुए स्वास्थ्य जांच व संदर्भन, समुदाय आधारित देखभाल, साप्ताहिक गृह भ्रमण और सामुदायिक बैठकें आयोजित की जाएंगी। माह का चौथा सप्ताह वजन सप्ताह होगा, इस सप्ताह के दौरान पांच वर्ष तक के सभी बच्चों की लम्बाई और वजन की मापतौल की जाएगी। यह डेटा पोषण ट्रैकर पर अपलोड किया जाएगा। वजन सप्ताह के बाद स्वस्थ व सुपोषित बच्चों को पुरस्कृत किया जाएगा। डीपीओ ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से स्वस्थ बालक-बालिका प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। स्कूलों में पोषण मेले का आयोजन, निबंध प्रतियोगिता और रेसिपी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। ग्राम स्तर पर स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से पोषण रैली, जल संरक्षण गतिविधियां और रेसिपी प्रतियोगिता आयोजित की जाएंगी।