गाजियाबाद। आज पृथ्वी दिवस है। पृथ्वी को बचाने के लिए आज बहुत सी गोष्ठियां होंगी और जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे लेकिन इन सबके बीच पर्यावरणविद सत्येन्द्र सिंह ने बहुत अच्छी जानकारी दी है। उन्होंने सुझाव और पृथ्वी को कैसे बचाया जाए, इसके बारे में बताया है। उन्होंने कहा कि पृथ्वी बहुत व्यापक शब्द है जिसमें जल, हरियाली, वन्यप्राणी, प्रदूषण और इससे जु़ड़े अन्य कारक भी हैं। धरती को बचाने का आशय है इसकी रक्षा के लिए पहल करना। न तो इसे लेकर कभी सामाजिक जागरूकता दिखाई गई और न राजनीतिक स्तर पर कभी कोई ठोस पहल की गई। दरअसल पृथ्वी एक बहुत व्यापक शब्द है, इसमें जल, हरियाली, वन्यप्राणी, प्रदूषण और इससे जु़ड़े अन्य कारक भी शामिल हैं। धरती को बचाने का आशय है इन सभी की रक्षा के लिए पहल करना। लेकिन इसके लिए किसी एक दिन को ही माध्यम बनाया जाए, क्या यह उचित है? हमें हर दिन को पृथ्वी दिवस मानकर उसके बचाव के लिए कुछ न कुछ उपाय करते रहना चाहिए। एक राष्ट्र जो अपनी मिट्टी को नष्ट करता है, वह स्वयं नष्ट हो जाता है। वन हमारी भूमि के फेफड़े हैं जो हवा को शुद्ध करते हैं और हमें नई ताकत देते हैं। जो हमें आॅक्सीजन देते हैं उनका भी महत्व हम आज तक नहीं समझ पाये हैं। अब तो जागो ; जब आज हम किसी अपने की जान बचाने को आॅक्सीजन सिलेंडर की भीख मांग रहे हैं, मनचाहे दाम देने को तैयार हैं। फिर भी लाचार हैं।