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माँ का पल्लू

याद आता है माँ का पल्लू,
सबसे प्यारा माँ का पल्लू।
माँ का पल्लू स्वर्ग समान,
इसमें जादू सा सुख पाता,
जब बापू डांटे, मारे,
पीछे पल्लू के छुप जाता,
कुछ आंख में गिर जाए,
पल्लू से निकल जाता,
हो पैसों की जरूरत,
पल्लू की गांठ में मिल जाता,
सर्दी लगती तो माँ का पल्लू।
पसीना आए तो माँ का पल्लू,
ना भटकने दे यह माँ का पल्लू,
ना बहकने दे ये माँ का पल्लू,
चोट लगे तो माँ का पल्लू,
ओट चाहिए तो माँ का पल्लू,
आंसू आए तो यह माँ पल्लू,
डर लगे तो माँ का पल्लू ,
यह पल्लू नहीं प्रभु का वरदान,
इसमें ही सब देवी और भगवान,
जिसे मिली माँ के पल्लू की छाया,
उसने जीवन में है सब कुछ पाया।।।

लेखक
नरेंद्र राठी  
सलाहकार – हरीश रावत (पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड)
संबद्ध – राज बब्बर(पूर्व सांसद राज्य सभा)
सदस्य -अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी

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