- भाजपा पार्षद राजेन्द्र त्यागी ने किया एक और बड़ा खुलासा
- रक्षा उत्पाद बनाने वाली सीईएल को खुदबुर्द करने की तैयारी
- डिफाल्टर कंपनी के हवाले करने की रची गई साजिश
- एक हजार कर्मचारियों-अधिकारियों का भविष्य अंधकार में
- सालाना प्रोफिट कमाने वाली कंपनी को बेचे जाने में बड़े भ्रष्टाचार की आ रही बू
गाजियाबाद। प्रोफिटेबल सेंट्रल इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड को कोड़ियों के भाव प्राइवेट कंपनी को बेचे जाने को लेकर पार्षद राजेन्द्र त्यागी ने एक बार फिर गंभीर आरोप लगाए हैं। प्रेस कान्फ्रेंस कर उन्होंने विनिवेश प्रक्रिया को निरस्त करने की मांग की है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार नए सिरे से निविदाएं मंगाने की मांग की है। उन्होंने सीईएल को बेचे जाने को लेकर बरती जा रही अनियमितताएं और गड़बड़झाले के साथ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। उन्होंने विस्तार से इसके बारे में बताया। पार्षद राजेन्द्र त्यागी ने बताया कि केन्द्र सरकार एक तरफ तो उत्तर प्रदेश में डिफेंस कारिडोर स्थापित कर रही है जबकि चलती हुई और सालाना करोड़ों का मुनाफ कमा रही कंपनी सीईएल को खुदबुर्द करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की सीईएल का पूर्ण विनिवेश कर इसे निजी हाथों में देने का निर्णय लिया जाना ही गलत है। जो कंपनी एक लाभ अर्जित करने वाली कंपनी है उसे निजी हाथों में देकर कंपनी का अस्तित्व भी खतरे में आने जा रहा है। उन्होंने बताया कि सीईएल को एक फ्राड कंपनी नंदल फाइनेंस को 210 करोड़ रुपए में दिए जाने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। उन्होंने बताया कि सीईएल की वैल्यूवेशन को दीपम ने मात्र 194 करोड़ आंका है। 50 एकड़ वाली सीईएल कंपनी में एक हजार से ज्याइा कर्मचारी और अधिकारी काम करते हैं। कंपनी की लैंड की कीमत ही आवास विकास परिषद की सर्किल दर के हिसाब से 440 करोड़ बैठती है। बेशकीमती इस सीईएल कंपनी की लैंड की मार्केट वैल्यू 12 सौ करोड़ के लगभग है। कौड़ियों के दाम पर सीईएल को बेचे जाने के पीछे बहुत बड़े भ्रष्टाचार की बू आ रही है। राजेन्द्र त्यागी ने कहा कि सीईएल को खरीदने के लिए नंदल व जेपीएम इंडस्ट्रीज ने बिड डाली थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कंपनी भले ही अलग-अलग हैं लेकिन इनके निदेशक एक ही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस कंपनी को सीईएल दिए जाने की प्रक्रिया चल रही है उसको न तो सीईएल जैसी कंपनी चलाने की क्षमता है और न ही अनुभव है। केवल एक कमरे की कंपनी है उसके पास अपना कोई संसाधन नहीं है। मात्र 17 हजार रुपए मासिक किराए पर कंपनी का संचालन किया जा रहा है। कंपनी का सालाना बिजली बिल 64 हजार और टेलीफोन बिल 34 हजार है। गौर करने वाली बात यह भी है कि उक्त कंपनी के लगभग सौ प्रतिशत शेयर प्रीमियर फर्नीचर्स को बेच रखे हैं।
राजेन्द्र त्यागी ने कहा कि देश के धन की हानि व सीईएल जैसी देश की संपदा को खत्म करने का किसी को अधिकार नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि पृथम दृष्टया दोनो एजेंसियां यानी ट्रांजक्शन एडवाइजर व एसेसट्स वेल्यूअर की आपस में मिलीभगत होने की संभावना है। पूरे प्रकरण में अधिकारियों की उदासीनता स्पष्ट दिखाई देती है।
लोकसभा में भी उठ चुका है प्रकरण
पार्षद राजेन्द्र त्यागी ने बताया कि सीईएल कंपनी के विनिवेश को लेकर संसद में भी सवाल उठाया गया है। सीईएल की ओर से तमाम दस्तावेज दिए गए हैं जिसमें बताया गया है कि कंपनी किस तरह से मुनाफे में है और सालाना टर्नओवर 296 करोड़ रुपए का है। सालाना प्रोफिट भी 24 करोड़ के लगभग है। कंपनी के पास 15 सौ करोड़ के आॅर्डर हैं जिनसे लगभग 185 करोड़ का मुनाफा होने वाला है। कंपनी के पास 40 करोड़ रुपए का तो रॉ मैटेरियल है। फिक्स संसाधन ही 22 करोड़ रुपए के हैं। उन्होंने कहा कि संसद में उठाए गए सवाल व दाखिल के किए गए दस्तावेज भी रददी की टोकरी में पड़े हैं।
पीएम मोदी,सीएम योगी आदि को भेजा है शिकायती पत्र
पार्षद राजेन्द्र त्यागी ने बताया कि उक्त धांधली के बारे में पत्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ, केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केन्द्रीय मंत्री नितिन जयराम गडकरी, केन्द्रीय मंत्री डा. जितेन्द्र सिंह, दीपम के सचिव तुहिन कांता पांडेय, डीएसआईआर के सचिव शेखर सी मंडे, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव व मेरठ मंडल के मंडलायुक्त को भेजा है।