गाजियाबाद। मल्टीनेशनल कंपनी द्वारा जबरन निकाले गए 54 कर्मचारियों ने विरोध स्वरूप धरना-प्रदर्शन किया। कंपनी द्वारा निकाले गए कर्मचारियों का आरोप है कि कंपनी ने भारत के कानून को भी दरकिनार किया है। मेरठ रोड औद्योगिक क्षेत्र में धरना-प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने बताया कि सोनौफी इंडिया लिमिटेड फ्रांस की एक दवा की अग्रणी कंपनी है। भारत में इसका मुख्य बाजार मुंबई में है और 15 सौ से ज्यादा कर्मचारी देश के विभिन्न हिस्सों में कंपनी के लिए दवा प्रमोशन का काम करते हैं। सोनौफी इंडिया लिमिटेड कंपनी का द्विपक्षीय समझौता दवा प्रतिनिधियों की यूनियन हेक्स्ट आल इंडियर रिप्रेजेटेटिव कमेटी के साथ 1971 से है। सारे विवाद बातचीत से हल किए जाते रहे हैं लेकिन कंपनी के अधिकारियों ने इस समझौते और भारत के कानून को ही दरकिनार करते हुए देश में 54 दवा प्रमोशन प्रतिनिधियों को बर्खास्त कर दिया। यही नहीं कंपनी ने यूनियन के साथ हर तीन साल में होने वाले समझौते चार्टर आफ डिमांड को भी काफी समय से नहीं किया है। कर्मचारियों ने बताया कि जूम पर हुई एक आभासी सभा में कंपनी के अधिकारियों ने एकतरफा संवाद में यह सूचना दी कि 15 से ज्यादा प्रोडक्ट कर्मचारियों सहित यूनिवर्सल न्यूट्री साइंस नामक एक नई कंपनी को बेच दिया है। कर्मचारियों का कहना है कि यूनिवर्सल न्यूट्रीसाइंस की सेवा शर्तें सोनौफी इंडिया लिमिटेड की सेवा शर्तों से बहुत ही निम्न स्तर की है। इसके अलावा सोनौफी कंपनी ने न तो अपने इस अव्यवहारिक निर्णय की जानकारी भारत सरकार को दी और न ही यूनियन के पदाधिकारियों को दी। हेक्स्ट आल इंडिया रिप्रेजेंटेटिव कमेटी लगातार कंपनी के इस निर्णय के खिलाफ आवाज उठाती रही है है। 22 अक्टूबर को एक हड़ताल की गई एवं एफएमआरएआई के साथ मिलकर पूरे देश में स्थित कंपनी के चार क्षेत्रीय कार्यालयों पर धरना-प्रदर्शन किया गया। कर्मचारियों ने बताया कि 17 दिसंबर को कंपनी के दमन के खिलाफ चलो मुंबई कार्यक्रम के तहत मुख्य कार्यालय पर धरना दिया जाएगा व 22 व 23 नवंबर को हड़ताल का आह्वान किया गया है। धरना-प्रदर्शन में अतुज लाहौरी, देवेन्द्र मलिक, दिनेश मिश्रा, संतोष कुमार, राजेश कुमार, निशिकांत मिश्रा, राजेश गुप्ता, अवधेश बिष्ट, श्रद्धानंद शर्मा, अनीस अहमद, अमित सिंह, सरफराज अहमद, अंकित वर्मा आदि मौजूद रहे।