- 2020 में शुरू किया गया था ग्रामीण आवासीय अभिलेख उपलब्ध कराने का अभियान
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि घरौनी वितरण का यह कार्यक्रम भारत के लोकतंत्र के इतिहास का बहुत ही महत्वपूर्ण पड़ाव है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयास से पूरे देश में अप्रैल, 2020 में ग्रामीण आवासीय अभिलेख (घरौनी) उपलब्ध कराने का अभिनव कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया था। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत गांव में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को उसके मकान की जमीन का अभिलेख उसके नाम पर नामांतरण करते हुए उसका मालिकाना हक उपलब्ध कराया जा रहा है।
मुख्यमंत्री यहां लोक भवन में स्वामित्व योजना के अन्तर्गत 11 लाख ग्रामीण आवासीय अभिलेख (घरौनी) का आॅनलाइन वितरण करने के बाद अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि घरौनी वितरण कार्यक्रम लोकतांत्रिक इतिहास की महत्वपूर्ण घटना है। 11 लाख घरौनी वितरण का कार्यक्रम लोक भवन के इस सभागार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के प्रत्येक तहसील मुख्यालय पर आयोजित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश में 23 लाख से अधिक घरौनी का वितरण हो चुका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए और जनता की आवाज को शासन-प्रशासन तक पहुंचाने के लिए निर्बाध गति से संघर्ष करने वाले लोकतंत्र सेनानियों को नमन करते हुए घरौनी वितरण का कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। प्रदेश में अब ग्रामीण क्षेत्र में 34 लाख ऐसे परिवार होंगे, जिनके पास उनकी जमीन का आवासीय पट्टा उनके नाम पर होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले जब गरीब का मकान गिर जाता था, तो गांव के दबंग उसको पुन: निर्माण नहीं करने देते थे। वर्तमान राज्य सरकार ने अब इस पर पूर्ण विराम लगाया है। अब जमीन की पैमाइश, जरीब या फीते से नहीं, बल्कि गांव की खुली बैठक में ड्रोन के माध्यम से सर्वे किया जाता है। इसके पश्चात सहमति और असहमति की टिप्पणी भी ग्रामवासियों से ली जाती है। जनपद जालौन आज प्रदेश का पहला ऐसा जनपद हो जाएगा, जहां 100 प्रतिशत घरौनी का वितरण हो चुका होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगस्त, 2022 तक पूरे प्रदेश में एक लाख 10 हजार 300 से अधिक राजस्व ग्रामों के सर्वे का कार्य सम्पन्न किया जाएगा। प्रदेश में देश के अन्दर सर्वाधिक ढाई करोड़ परिवारों को घरौनी वितरण का लक्ष्य रखा गया है। राजस्व परिषद की सहायता से यह कार्य तेजी से किया जा रहा है। प्रदेश में अक्टूबर, 2023 तक ग्रामीण क्षेत्र में हर एक व्यक्ति को ग्रामीण आवासीय अभिलेख उपलब्ध कराने की कार्यवाही सम्पन्न हो चुकी होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधी जी के ग्राम स्वराज्य और प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत का सपना ग्राम पंचायतों की आत्म निर्भरता से पूरा हो रहा है। प्रदेश में भू-माफियाओं पर लगाम लगाने के लिए तहसील, जनपद, मण्डल और राज्य स्तर पर एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स का गठन किया गया है। अब तक 64 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि को भू-माफियाओं के कब्जे से मुक्त कराया गया है। प्रदेश में जिन लोगों के पास कोई आवास नहीं था, उनका आवास उपलब्ध कराने का कार्य भी राज्य सरकार ने किया है। अभियान चलाकर मुसहर, थारु, कोल, वनटांगिया, सहरिया आदि समुदायों को जमीन उपलब्ध कराने का कार्य किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व परिषद प्राथमिकता के आधार पर लैण्ड रिकॉर्ड्स को डिजिटाइज करे। जब किसी व्यक्ति के द्वारा कोई जमीन बेची जा रही हो तो उसी समय उसका नाम खतौनी में दर्ज करने का प्राविधान करें। इससे एक व्यक्ति द्वारा एक ही जमीन कई बार बेचने पर नियंत्रण लगेगा। स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग को राजस्व विभाग के साथ मिलकर यह व्यवस्था बनानी होगी कि किसी जमीन की रजिस्ट्री करने से पहले इस बात का पता चल सके कि जो व्यक्ति रजिस्ट्री कर रहा है वह जमीन उसके नाम है या नहीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वरासत से जुड़ी समस्याओं का समाधान एक निश्चित समय-सीमा में, निर्धारित मैकेनिज्म पर आधारित होना चाहिए। वरासत के सभी लम्बित मामलों का निस्तारण अभियान चलाकर किया जाए। पैमाइश से जुड़ी समस्याओं का समाधान भी शीघ्रता से किया जाए, ताकि लोगों को सरकारी कार्यालयों के चक्कर न काटने पड़ें। यह देखा गया है कि राजस्व से जुड़ी समस्याओं का समाधान हो जाने पर अपराध में भी कमी आती है। प्रदेश में डबल इंजन की सरकार तकनीक का बेहतर उपयोग कर स्वामित्व योजना के माध्यम से लोगों को सुविधा प्रदान कर रही है। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने 10 लोगों को घरौनी प्रमाण-पत्र भौतिक रूप से प्रदान किये। इस अवसर पर राजस्व राज्यमंत्री अनूप प्रधान, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा, अध्यक्ष राजस्व परिषद संजीव मित्तल, प्रमुख सचिव राजस्व सुधीर गर्ग, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना संजय प्रसाद सहित गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।