देहरादून। कारगिल विजय दिवस उन शहीदों की याद में मनाया जाता है जिन्होंने कारगिल युद्ध में अपने देश के लिए लड़ते हुए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। इस दिन भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध हुआ जो लगभग 60 दिन तक चला और 26 जुलाई के दिन इसका अंत हुआ। इस युद्ध में भारत विजय हुआ था। कारगिल में विजय भारत के संकल्पों की जीत थी। यह विजय हर भारतीय की उम्मीदों और कर्त्तव्यपराणता की जीत थी। कारगिल विजय दिवस स्वतंत्रता का अपना ही मूल्य होता है, जो वीरों के रक्त से चुकाया जाता है, कारगिल युद्ध में हमारे लगभग 500 से ज्यादा वीर युद्ध शहीद हुए थे और 1300 से ज्यादा घायल हो गए।
कारगिल युद्ध के नायकों के सम्मान में हर साल 26 जुलाई को कारगिल सेक्टर और राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में मनाया जाता है। साथ ही भारत के प्रधानमंत्री हर साल इस दिन इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति के साथ सैनिको को श्रद्धांजली प्रदान करते है। साल 2021 में कारगिल विजय दिवस के 22 साल पूरे हो चुके हैं।
उत्तराखंड को देवभूमि के साथ साथ वीरों की भूमि भी कहा जाता है। यहां के लोकगीतों में शूरवीरों की जिस वीरगाथा का जिक्र मिलता है, वह अब प्रदेश की सीमाओं में ही न सिमट कर देश-विदेश में फैल गई हैं। कारगिल युद्ध की वीरगाथा भी इस वीरभूमि के जिक्र बिना अधूरी है। राज्य के 75 सैनिकों ने इस युद्ध में देश रक्षा में अपने प्राण न्योछावर किए। देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए देवभूमि के वीर सपूत हमेशा ही आगे रहे हैं। राज्य के हर घर से एक बेटा देश की सेवा में लगा है, ऐसा कोई पदक नहीं, जो प्रदेश के जांबाजों को न मिला हो। इनकी याद में जहां एक ओर सैकड़ों आखें नम होती हैं, वहीं प्रदेशवासियों का सीना भी गर्व से चौड़ा हो जाता है। यहां युवाओं में सेना में जाने का क्रेज आज भी बरकरार है। वहीं भारतीय सेना का हर पांचवां जवान भी इसी वीरभूमि में जन्मा है। देश में जब भी कोई विपदा आई तो यहां के रणबांकुरे अपने फर्ज से पीछे नहीं हटे साल 1999 में हुए कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने पड़ोसी मुल्क की सेना को चारों खाने चित कर विजय हासिल की। अति दुर्गम घाटियों व पहाडि?ों में देश की आन-बान और शान के लिए भारतीय सेना के 526 जवान शहीद हुए थे। इनमें 75 जांबाज अकेले उत्तराखंड से थे। छोटे राज्य के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। शहादत का यह जज्बा आज भी पहाड़ नहीं भूला है। गढ़वाल रेजीमेंटल सेंटर के परेड ग्राउंड पर हेलीकाप्टर से शहीदों के नौ शव एक साथ उतारे गए तो मानो पूरा पहाड़ चिल्ला चिल्ला कर प्रदेश के लाडलों की याद में रो रहा हो।