- इस साल 25 हजार से अधिक ने कराई जांच,
- जांच कराने वालों में 9661 पुरुष और 16, 398 महिलाएं, नौ ट्रांसजेंडरों ने भी कराई जांच
- बचाव के लिए जागरूकता पहली शर्त, जागरूक बने-सतर्क रहें: डीटीओ
गाजियाबाद। जनपद में इस वर्ष 25088 लोगों ने एड्स-एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनो डेफिंसिएंशी वायरस) की जांच कराई। इनमें से 216 में एचआईवी वायरस की पुष्टि हुई। जांच कराने वालों में 8661 पुरुष, 16398 महिलाएं और नौ ट्रांसजेंडर शामिल थे। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. आरके यादव ने बताया एचआईवी पॉजिटिव होने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर हो जाती है। ऐसे लोगों को सभी संक्रामक रोगों की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। अधिकतर मामलों में एचआईवी पॉजिटिव टीबी संक्रमित हो जाते हैं। इसलिए हर एचआईवी पॉजिटिव की टीबी की जांच होना जरूरी है। उन्होंने बताया एड्स के संक्रमण को कम करने के लिए एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) दी जाती है, हालांकि इसके फैलाव को केवल बचाव के जरिए ही रोका जा सकता है।
डीटीओ ने बताया बचाव के लिए सबसे पहली जरूरत बीमारी के बारे में जानकारी की है। उसके बाद यह पता होना जरूरी है कि रोग का प्रसार कैसे होता है ताकि प्रसार के कारणों पर अंकुश लगाया जा सके। एड्स का फैलाव संक्रमित सुई, असुरक्षित यौन संबंध और ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिए होने का खतरा रहता है। इसलिए रक्त देते और लेते समय जांच अवश्य कराएं। प्रयोग की गई सुई का इस्तेमाल न करें और असुरक्षित यौन संबंध बनाने से बचें। उन्होंने कहा पुरुष एचआईवी जांच कराने के मामले में महिलाओं से पीछे रहते हैं जबकि यह जांच पूरी तरह से गुप्त रखी जाती है। उन्होंने कहा एड्स न तो सांस के जरिए और न ही छूने से फैलता। एड्स पीड़ितों के साथ ऐसा कोई व्यवहार न करें जो उन्हें पीड़ा देने वाला हो।
वर्ष 2017 में जनपद में कुल 9376 पुरुषों, 29,302 महिलाओं और 108 ट्रांसजेंडरों ने एचआईवी जांच कराई थी, इनमें 372 में एचआईवी की पुष्टि हुई थी। वर्ष 2018 में 9453 पुरुषों और 25,727 महिलाओं के साथ ही 256 ट्रांसजेंडरों की जांच में कुल 287 में वायरस की पुष्टि हुई। 2019 में कुल 40,479 जांच हुईं और 442 संक्रमित मिले जबकि 2020 में 27,641 जांचें हुईं और 213 में एचआईवी की पुष्टि हुई।