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सावन मास की कामिका एकादशी व पुत्रदा एकादशी क्यों हैं इतनी खास

नई दिल्ली। हर माह की तरह ही सावन मास में भी दो एकादशी पड़ती हैं। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। हिन्दी पंचांग के अनुसार, सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी के नाम से जानते हैं। कामिका एकादशी में दिनभर व्रत रखते हुए भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है। इस समय चातुर्मास चल रहा है, भगवान विष्णु योग निद्रा में हैं। हालांकि इस दौरान पूजा की मनाही नहीं होती है। कामिका एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और उसके समस्त पापों का नाश हो जाता है।

श्रावण मास भगवान शिव की आराधना का श्रेष्ठ माह है। भगवान शिव संतान, सुख, संपदा समेत सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाले हैं। उनके इस प्रिय मास सावन में पुत्र प्राप्ति के लिए विशेष व्रत पुत्रदा एकादशी पड़ती है, जिसमें भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, उनकी कृपा से व्रत करने वाले को पुत्र की प्राप्ति होती है। हिन्दी पंचाग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष श्रावण पुत्रदा एकादशी 18 अगस्त दिन बुधवार को है। वर्ष दो बार पुत्रदा एकादशी आती है। एक श्रावण मास में और दूसरी पौष मास में। आइए जानते हैं कि श्रावण पुत्रदा एकादशी तिथि, पूजा मुहूर्त एवं पारण का समय क्या है।

हिन्दी पंचांग के अनुसार सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 03 अगस्त दिन मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से हो रह है। इस तिथि का समापन 04 अगस्त दिन बुधवार को दोपहर 03 बजकर 17 मिनट पर हो रहा है। उदया तिथि के अनुसार, इस वर्ष कामिका एकादशी का व्रत 04 अगस्त दिन बुधवार को है। 04 अगस्त को कामिका एकादशी का व्रत रखा जाएगा और उसी दिन भगवान विष्णु की विधि​पूर्वक पूजा की जाएगी। इस दिन प्रात: काल 05:44 बजे से लेकर अगले दिन 05 अगस्त को प्रात: 04:25 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग है। ऐसे में इस वर्ष कामिका एकादशी व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग में रखा जाएगा।

कामिका एकादशी व्रत का महत्व

कामिका एकादशी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली और मनुष्य को उसके पापों से मुक्ति दिलाने वाली है। इस व्रत के महत्व को धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से जाना था।

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 18 अगस्त दिन बुधवार को तड़के 03 बजकर 20 मिनट से हो रहा है। इसका समापन उसी दिन देर रात 01 बजकर 05 मिनट पर होगा। ऐसे में श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत 18 अगस्त को रखा जाएगा।

पुत्रदा एकादशी का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नि:संतान दंपत्ति को श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत रखना चाहिए और भगवान विष्णु का विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए। भगवान विष्णु की कृपा और इस व्रत के पुण्य से उस दंपत्ति को सुयोग्य पुत्र की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा के समय श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत का पाठ भी सुनना चाहिए। इससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से मृत्यु के पश्चात व्यक्ति को मोक्ष भी मिलता है।

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