उत्तर प्रदेश में डॉन के नाम से पहचान बना चुके राजनेता मुख्तार अंसारी को कल यूपी पुलिस पंजाब की रोपड़ जेल से इस तरह सज धजकर उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में ले गई जैसे मानो वो कोई दूल्हा हो और उसे किसी रईसजादे की तरह ससुराल ले जाया जा रहा हो। मुख्तार अंसारी व्हीलचेयर पर सवार था और उसे एक एंबुलेंस में बांदा जेल लाया गया। राजनेता रह चुके इस कुख्यात अपराधी को रोपड़ जेल से लेकर बांदा जेल तक के लगभग नौ सौ किलोमीटर की दूरी के सफर में जो सरकारी व्यवस्था बनाई गई वो किसी प्रधानमंत्री की सड़क यात्रा में मुहैया कराए जाने वाली व्यवस्था से भी कहीं अधिक थीं। इस अपराधी को लाने वाली एंबुलेंस के आगे-पीछे 30 से अधिक सरकारी गाड़ियां चल रही थीं और इस लंबी यात्रा में सौ से अधिक पुलिसकर्मियों का दल शामिल था। 15 घंटे बाद बांदा जेल के ‘ससुराल’ पहुंचने पर जो व्यवस्थाएं बनाई गर्इं वो भी देखने लायक थीं। ‘ससुराल’ के द्वार से आधा किलोमीटर पहले ही बड़ी-बड़ी बेरिकेडिंग लगाकर लोगों की आवाजाही रोक दी गई। सड़क के दोनों तरफ कई दर्जन सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। किसी अपराधी के लिए इतनी बड़ी सरकारी व्यवस्था बनाना किसी भी सामान्य व्यक्ति की सोच में एक अलग सी धारणा पैदा कर देता है या तो संबंधित अपराधी कोई बहुत बड़े राजनीतिक कद का आदमी है या फिर वो इतना खतरनाक है कि व्यवस्था भी उसका खौफ खाती है। माना मुख्तार अंसारी अब से पूर्व सपा और बसपा में नेता रह चुका है और प्रदेश की विधानसभा में विधायक भी रह चुका है लेकिन अपराधी तो अपराधी है और उसके लिए इतनी बड़ी व्यवस्था का बनाया जाना सरकार के कद को बौना बना देता है। अब यह विचार का विषय है कि पचास से अधिक मामलों में वांछित एक नामी अपराधी को हम केवल अपराधी मानें या फिर उसके पूर्व के राजनीतिक इतिहास से उसकी पहचान को आंके हालांकि यह अपराधी खुद से भी बहुत डरा हुआ है और यह महसूस कर रहा है कि मौजूदा प्रदेश सरकार उसके साथ विकास दुबे जैसा कोई बड़ा काम भी कर सकती है। यह भी हो सकता है कि कुर्बानी से पहले बकरीद के बकरे की बादशाही परवरिश की जा रही हो।