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संविधान पर मंडरा रहे हैं खतरे के बादल: राम दुलार यादव

गाजियाबाद। डॉक्टर अंबेदकर जन कल्याण परिषद द्वारा डा.बीआर बीआर अंबेडकर की जयंती धूमधाम से मनाई गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष राम दुलार यादव रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्याम नारायण ने, आयोजन राज कुमार ने व संचालन कैलाश चन्द ने किया। सभी साथियों ने बाबा साहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर तथा पुष्प अर्पित किए। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए समाजवादी विचारक राम दुलार यादव ने कहा कि भगवान बुद्ध के बाद यदि कोई महामानव ने शोषित, दलित, बेबस जन समूह के सर्वांगीण विकास के लिए धरातल पर काम किया, वह नाम बाबा साहेब डा. अम्बेदकर का ही सम्मान के साथ लिया जायेगा। उन्होंने संविधान में मौलिक अधिकारों की व्यवस्था की, समता, स्वतंत्रता का अधिकार दिया, शोषण के विरुद्ध अधिकार दिया। मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए उन्होंने संवैधानिक उपचारों का अधिकार की व्यवस्था की जिससे व्यक्ति गरिमामय जीवन शिक्षित होकर जी सके। डा. अम्बेदकर देश में व्याप्त विषमता को धार्मिक पाखण्ड जो कोढ़ के रूप में समाज में व्याप्त है मानते थे, उनक कहना था कि इसी कारण समाज में ऊँच-नीच, छुआछूत, जातिवाद, भ्रम व्याप्त है। डा. अम्बेदकर ने कहा था कि हमने भारत का संविधान बनाने में विश्व के 60 देशों के संविधान का अध्ययन किया, उन्होंने कहा कि विश्व में भारत के संविधान का मुकाबला नहीं है। यह व्यक्ति समाज, राष्ट्र की युद्ध और शांति दोनों समय रक्षा करेगा। लेकिन इसे संचालित करने वाले लोगों की नीयत में यदि खोट होगी, उनका आचरण ठीक नहीं होगा तो संविधान सुचारू रूप से कार्य नहीं कर पायेगा। राम दुलार यादव ने कहा कि संविधान पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं जिस पार्टी की केन्द्र में, उत्तर प्रदेश में सरकार है, वह संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने में लगी हुई है, विश्व में भारत के लोकतंत्र को आंशिक लोकतंत्र की संज्ञा दी जा रही है। धार्मिक पाखण्ड को फैलाकर संविधान को कमजोर करने की साजिश की जा रही है, बाबा साहेब ने इस खतरे से भारत की जनता को आगाह किया था। लेकिन हजारों साल मानसिक गुलामी व भ्रम के कारण जनता सही निर्णय नहीं कर पा रही है। आज बाबा साहेब डा. अम्बेदकर का जन्मदिन हम मना रहे है हमें संकल्प लेकर जाना है कि हम किसी धार्मिक पाखण्ड और भ्रम, अन्धविश्वास का शिकार नहीं हो। अपने विवेक से कार्य करेंगें। बाबा साहेब का कहना था कि श्हमें अपना रास्ता स्वयं बनाना होगा। राजनीतिक शक्ति दलितों, शोषितों की समस्याओं का निवारण नहीं कर सकती, जब तक समाज में उन्हें उचित स्थान प्राप्त नहीं होगा लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि आज कमजोर वर्गों, किसानों, मजदूरों, बेरोजगार, नवजवानों तथा लघु उद्योग धंधों और छोटे व्यापारियों का कल्याण आज की राजनीति करने में असफल है। सरकार को संचालित करने वाले कुछ कॉरपोरेट घरानों के लिए कार्य करने में व्यस्त है, भारत की अधिकांश जनता गरीबी, शोषण, अनाचार, अत्याचार झेलने पर मजबूर है, नफरत का वातावरण बनाया जा रहा है, जाति, धर्म पंथ में बांटा जा रहाए यह देश के लिए शुभ संकेत नहीं है। बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेदकर के विचार तथा संविधान में दिये गये मौलिक अधिकार, समतामूलक समाज और सामाजिक न्याय के लिए आज भी प्रासंगिक है। इस मौके पर संजू शर्मा, शबाना, पंकज, छेदीलाल, कैलाश चन्द, रमेश गौतम, इशरत जहां, श्याम नारायण, एसएन जायसवाल, एसपी छिब्बर, श्रीचंद, राजेन्द्र प्रसाद, वन्दना कौशल, रंजीत कुमार, अनीता सिंह, ममता, आरती सिंह आदि मौजूद रहे।

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