कमल सेखरी
जैसा कि हमने अभी दो दिन पहले ही कहा था कि यूपी के विधानसभा चुनाव में पश्चिमी बंगाल के चुनावों से भी कहीं ज्यादा बड़ा खेला होगा। इस बड़े खेले की संभावनाएं अभी से तेज होती नजर आने लगी हैं। लोनी विधानसभा क्षेत्र जहां एक मुस्लिम बुजुर्ग को लेकर अप्रिय व्यवहार किया गया और उसकी खबर जिस तरह से सोशल मीडिया पर वायरल की गई उससे स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि उस बड़े चुनावी खेले की शुरूआत हो गई है। लोनी का यह मामला ट्विटर और फेसबुक के अलावा अन्य सोशल मीडिया के माध्यमों से भी प्रसारित किया गया और जिस तरह से यह बनाकर चलाया गया उससे साफ संकेत मिलते हैं कि यह सबकुछ राजनीतिक दृष्टि से किया गया और उत्तर प्रदेश के सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ कर चुनावी लाभ पाने की नजर से किया गया। यह कहां से आरंभ हुआ, किसने किया, यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा लेकिन ट्विटर व फेसबुक के खिलाफ कानूनी कार्रवाइयां शुरू कर दी गई हैं और इस मामले में आरोपी बनाए गए कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। सोशल मीडिया की इन कंपनियों की क्या भूमिका रही और किस नीयत से रही, इसका खुलासा भी जांच के बाद ही हो पाएगा लेकिन यह तय है कि इस पूरे मामले से उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक सौहार्द खराब किए जाने की दिशा में जो ऐसा करना चाहते थे वे काफी हद तक सफल हुए हैं। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि उत्तर प्रदेश में होने वाले हर सामन्य चुनाव का आधार किसी न किसी तरह से हिन्दू-मुस्लिम बना ही दिया जाता है। इस कोशिश के पूरा होते ही फिर चुनाव हिन्दू-मुसलमान के नाम पर ही लड़े जाते हैं, ना उसमें कहीं विकास की बात होती है, ना योजनाओं पर चर्चा होती है और ना ही भावी संभावनाओं का कहीं कोई जिक्र होता है। अब जिनको मुसलमानों का पक्ष लेने का लाभ पहुंचता है वो उस आधार को लेकर खड़े हो जाते हैं और जिसे हिन्दुओं के समर्थन की जरूरत होती है वो हिन्दू कार्ड खेलना शुरू कर देते हैं। देश की आजादी से लेकर अब तक हम इस आधार की मजबूती को खंडित करना तो दूर हल्का सा प्रभावित भी नहीं कर पाए हैं। अब लोनी की यह चर्चित घटना जिस पर देश का सारा मीडिया खुलकर बोल रहा है क्योंकि मीडिया को भी अपना टीआरपी बढ़ाने के लिए इस तरह के आधार चाहिएं और गोदी मीडिया जो हमेशा सत्ता के पक्ष में ही खड़ा नजर आता है वो इस तरह के मामलों को बराबर सुलगाता ही रहता है जब तक यह आग का रूप लेकर लपटों में न बदल जाए। अब यूपी का चुनावी खेला गाजियाबाद के लोनी विधानसभा क्षेत्र से शुरू हो चुका है जब तक यह मामला कुछ हल्का सा शांत होगा तब तक इसी तरह का कोई और मामला राजनीति की परात में परोस दिया जाएगा। अभी आठ महीने बाकी हैं और चिंगारियों ने हवा लेनी शुरू कर दी है। हमें सतर्क रहना होगा कहीं इस बार यह चुनावी खेला भीषण आग बनकर प्रदेश को न सुलगा दे?