गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में आयुर्वेद अनुसार दिनचर्या विषय पर आर्य गोष्ठी का आयोजन आॅनलाइन जूम पर किया गया। वैद्य सुजाता चौधरी ने कहा कि समय के साथ साथ लोगों की जीवन शैली में भी काफी बदलाव देखने को मिल रहे है जिसका प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। अनियमित व अनिश्चित जीवन शैली के कारण लोग लंबी और खतरनाक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में अब आवश्यकता है कि एक बार फिर से हम आयुर्वेद के अनुसार अपनी दिनचर्या को बनाएं जिससे स्वयं को और अपने निकट के लोगों को स्वस्थ रख सकें। आयुर्वेद के अनुसार सुबह उठते ही एक या दो गिलास गर्म पानी पीना चाहिए। ऐसा करने से आपका पाचन तंत्र सुचारु रूप से कार्य करेगा। सुबह दैनिक क्रियाओं को जरूर करना चाहिए, जिसके कारण से आप खुद को कई गंभीर बीमारियों से बचा सकते हैं। आयुर्वेद वरदान है उसके अनुसार दिनचर्या बनाने से स्वस्थ रहा जा सकता है। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि आयुर्वेद में प्रात: उठने से लेकर रात्रि तक व रात्रिकाल के लिए भी स्वस्थ रहने के लिए कुछ नियम या अनुशासन बताए गए हैं। इन्हें दिनचर्या कहा गया है। यह व्यवस्था स्वस्थ रहने और शरीर में वात-पित्त-कफ इन तीनों दोषों को संतुलित करने के लिए की गई है। शुरू में इन नियमों का पालन करने में कुछ कठिनाई हो सकती है, किन्तु थोड़े दिनों के प्रयास से इसे एक प्राकृतिक जीवन का आसान हिस्सा बनाया जा सकता है। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जागें, स्वस्थ एवं निरोग जीवन के लिए सुबह सूर्योंदय से 2 घंटे पहले यानी ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार इस समय उठने पर वायुकाल होने के कारण श्वसन अंग व मन शुद्ध रहेंगे। मुख्य अतिथि आर्य नेत्री रमा नागपाल ने कहा कि यदि हम खुद को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो आयुर्वेद में वर्णित नियमों का पालन करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. करुणा चांदना ने कहा कि अधूरी या जरूरत से ज्यादा नींद सेहत के लिए हानिकारक होती है, ऐसे में सिर्फ 7 से 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। यदि हम 7 से 8 घंटे की नींद प्रतिदिन लेंगे तो हम अपने आपको कई बीमारियों से कोसों दूर रख सकते हैं। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि सुबह का नाश्ता करने से पहले खाली पेट व्यायाम या योग करना चाहिए जो शरीर को नई ऊर्जा देने के साथ रक्त संचरण को भी बढ़ाता है। योगाचार्य सौरभ गुप्ता ने कहा कि प्राचीन काल में उठने से लेकर सोने तक हर क्रिया के लिए एक नियम हुआ करता था जिसका पालन भी सही प्रकार किया जाता था। नियमों का पालन कर उस समय के लोग ज्यादा स्वस्थ रहते थे। गायिका संतोष आर्या, आशा आर्या, रविन्द्र गुप्ता, कुसुम भण्डारी, प्रवीना ठक्कर, किरण सहगल, सुषमा बुद्धिराजा, काशीराम रजक, सुखवर्षा सरदाना, उर्मिला आर्या, नीलम विरमानी आदि ने अपने गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। आचार्य महेन्द्र भाई, आनन्द प्रकाश आर्य, डॉ. रचना चावला, सुलोचना देवी, ललित बजाज व उर्मिला आर्या आदि उपस्थित थे।