नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जजों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि जजों को धमकियां अत्यधिक गंभीर मामला है। अदालत ने कहा कि पुलिस, आइबी या सीबीआइ जैसी एजेंसियों से इसकी शिकायत की जाती है तो कई बार वे इस पर ध्यान देना तो दूर जवाब तक नहीं देतीं। आइबी और सीबीआइ न्यायपालिका की कोई मदद नहीं कर रही।
सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से इस मामले में मदद का अनुरोध करते हुए जजों की सुरक्षा को लेकर उठाए गए कदमों पर सभी राज्यों से 17 अगस्त तक रिपोर्ट मांगी है। शीर्ष अदालत ने धनबाद में जज उत्तम आनंद की हत्या के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) को नोटिस जारी करते हुए उस केस को सोमवार को सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि जजों को न सिर्फ शारीरिक रूप से धमकाया जाता है बल्कि वाट्सएप आदि पर भद्दे संदेश भेजकर उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया जाता है।
पीठ ने कहा कि एक दो मामलों में सीबीआइ जांच के आदेश दिए गए, लेकिन बहुत अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि केंद्रीय एजेंसी ने कुछ नहीं किया। एक साल से ज्यादा समय हो गया है। पीठ ने कहा कि उन्हें अपेक्षा थी कि सीबीआइ के रवैये में कुछ बदलाव आएगा, परंतु ऐसा नहीं हुआ।
वेणुगोपाल ने भी जजों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि जज खतरे की जद में रहते हैं। जज को नौकरशाहों से भी ज्यादा खतरा है, क्योंकि नौकरशाह बंद कमरे में फैसले लेते हैं जबकि जज खुली अदालत में फैसले सुनाते हैं। वेणुगोपाल ने कहा कि वह इस मामले में एक लिखित नोट कोर्ट में दाखिल करेंगे।
प्रधान न्यायाधीश सुनवाई के दौरान कहा कि कई बार हाई प्रोफाइल लोगों या गैंगस्टर के आपराधिक मामलों में जजों को धमकियां मिलती हैं। निचली अदालत से लेकर हाई कोर्ट के जजों तक को धमकाया जाता है। पीठ ने कहा कि जजों को शिकायत दर्ज कराने की आजादी तक नहीं है।
धनबाद में जज उत्तम आनंद की हत्या के मामले में झारखंड के एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने कोर्ट को बताया कि मामले की जांच सीबीआइ को दे दी गई है। सीबीआइ ने मामला दर्ज कर जांच भी शुरू कर दी है। इस पर पीठ ने कहा कि आपने हाथ झाड़ लिए। राजीव रंजन ने कहा कि राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए 22 सदस्यीय एसआइटी गठित की थी। दो आटो ड्राइवरों को गिरफ्तार किया था। एसआइटी ने साक्ष्य एकत्र किए थे। पीठ ने उनसे पूछा कि आपने हलफनामे में जजों को सुरक्षा देने का जो भरोसा दिलाया है आप उसे पूरा कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि राज्य की लापरवाही को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।