गाजियाबाद। इसमें कोई दो राय नहीं कि कोरोना मरीजों से अस्पताज हाउसफुल चल रहे हैं लेकिन प्रशासनिक सख्ती ने भी अस्पताल संचालकों के हाथ-पैर फुला रखे हैं। हम यह नहीं कह रहे हैं कि कार्रवाई नहीं होनी चाहिए लेकिन कार्रवाई उन पर होनी चाहिए जो गलत कार्य में लिप्त हैं, करनी किसी की और बदनामी किसी ओर की नहीं होनी चाहिए। जी हां ऐसा ही एक मामला नागर हास्पिटल का सामना आया है। प्रशासनिक टीम ने नागर हास्पिटल में स्थित आरएन मेडिकल स्टोर पर छापा मारा और कई अनियमितताएं पकड़ीं। प्रशासनिक टीम ने छापे की यह कार्रवाई रात करीब 11 बजे की। नागर हास्पिटल में उक्त फार्मेसी में क्या चल रहा थी इसकी जानकारी न तो नागर अस्पताल के संचालकों को थी और न ही स्टाफ को। चूंकि उक्त मेडिकल स्टोर किराए के रूप में काफी समय से चल रहा है, मेडिकल स्टोर के संचालक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन नागर हास्पिटल का इस मामले से कोई लेना देना नहीं है। उक्त दावा डीएम को भेजे गए अपने जवाब में नागर हास्पिटल के संचालक डा.महेन्द्र ने किया है। हास्पिटल के सीएमडी डॉक्टर महेन्द्र नागर ने बताया है कि आरएन मेडिकल स्टोर के संचालक एवं साझीदार राजीव त्यागी व संजीव त्यागी हैं। उनके यहां आईसीयू वार्ड में भर्ती कोरोना मरीजों के इलाज के लिए उन्हें उक्त मेडिकल स्टोर से रेमिडेसिवर इंजेक्षन नहीं दिए जा रहे थे जबकि प्रशासनिक टीम द्वारा की गई जांच में उक्त मेडिकल स्टोर से रेमिडेसिविर इंजेक्शन मिले हैं। मेडिकल स्टोर के संचालक कहां से उक्त इंजेक्शन ला रहे थे और किन लोगों को बेच रहे थे उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने डीएम को लिखे पत्र में कहा है कि उक्त मेडिकल स्टोर से अस्पताल प्रबंधन का कोई लेना देना नहीं है। मेडिकल स्टोर का संचालन पूर्ण रूप से संजीव त्यागी व राजीव त्यागी कर रहे थे। उन्होंने इस पूरे प्रकरण की गहनता से जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। साथ ही यह भी बताया कि मीडिया में उनके हास्पिटल का नाम प्रमुखता से प्रकाशित किया गया जो कि गलत है, जब कार्रवाई आरएन मेडिकल स्टोर पर की गई है तो नाम भी उक्त मेडिकल स्टोर का ही प्रकाशित करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पूरे मनोयोग से मरीजों का इलाज कर रहे हैं, प्रशासन द्वारा जारी गाइडलाइन का पूर्णत: पालन किया जा रहा है।