गाजियाबाद। क्रान्तिकारी, वैचारिक मंच द्वारा पसोंडा ईदगाह रोड के प्रांगण में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजसेवी इरशाद चौधरी ने की। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राम दुलार यादव मुख्य अतिथि रहे। मुख्य अतिथि राम दुलार यादव ने एक बार फिर अपने क्रांतिकारी भाषण से मौजूद लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा कि राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्लाह खां ने देश की आजादी के लिए शहादत दे दी, मैं उस मां को नमन करता हूँ जिसने स्वयं धन देकर इन्हें ब्रिटिश शासन से संघर्ष करने के लिएए हथियार खरीदने के लिए प्रेरित किया लेकिन देश का व्यापारी वर्ग क्रांतिकारियों की आर्थिक मदद करने में उदासीन रहा। उसका परिणाम हुआ कि काकोरी कांड ने क्रांतिकारियों के मनोबल को तोड़ दिया, उनके पास संसाधनों की कमी थी इसलिए वे अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाये। आज भारत स्वतंत्र है लेकिन असमानता, शोषण, अन्याय, जुल्म आज भी समाज में व्याप्त है। जब तक विषमता रहेगी स्वतंत्रता अधूरी है, आर्थिक असमानता भयावह स्थिति में है। 90 करोड़ पर न पूरी रोटी है न कपड़ा। मकान का सपना तो दिव्य स्वपन के समान है। आज महंगाई में बेतहाशा वृद्धि से जनता खून के आंसू रो रही है। सभी वस्तुओं जैसे पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, खाद्यान्न, लोहा, पीतल, मेटल के दाम रोज बढ़ रहे हैं। सरकार का नियंत्रण शून्य है। बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। दो करोड़ रोजगार देने का वादा करने वाली केन्द्र सरकार लाखों में भी रोजगार नहीं दे पा रही है। इसी का परिणाम है कि देश आर्थिक मन्दी की चपेट में आ रहा है। वर्तमान सरकार में बेरोजगार नौजवान, छात्र, व्यापारी, मजदूर, किसान सभी परेशानी झेल रहे हैं। नोटबंदी, जीएसटी और वैश्विक महामारी कोरोना ने जन-जन की कमर तोड़ दी है लेकिन बड़े घरानों की संपत्ति 35 प्रतिशत बढ़ गयी, उन्हें 13 लाख करोड़ का फायदा हुआ। यदि वह संपत्ति 14 करोड़ निम्न आय वर्ग में बांट दी जाये तो 95000 रुपये प्रति बेरोजगार को मिल सकता है। स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों ने कभी यह नहीं सोचा था कि भारत में इतनी असमानता होगी, इसलिए हमें शोषण मुक्त देश, समाज बनाने के लिए धरातल पर कार्य करना चाहिए तथा सड़ी-गली व्यवस्था के समूलनाश के लिए प्रयत्न करना चाहिए। यह कार्य नवजवान ही जन-जागरण कर अन्तिम व्यक्ति के जीवन में आशा की किरण फैलाने का कार्य करेगा।
एडवोकेट वीरेन्द्र यादव ने कहा कि भारत मां के क्रान्तिकारी महान सपूतों ने आजाद भारत का सपना देखा था तथा बलिदान इसलिए दिया कि जब भारत आजाद होगा तो आमजन को यह अहसास होगा कि यह हमारी सरकार है, हमें सामाजिक, राजनैतिक आजादी मिलेगी। आर्थिक असमानता नहीं होगी। अवसर की समानता होगी, जाति और धार्मिक पाखण्ड, अन्धविश्वास दूर होगा लेकिन हम उन महान शहीदों के सपनों को साकार कर पाने में अक्षम साबित हुए हैं। आज भी अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि सामाजिक असमानता आजादी के 74 वर्ष बाद भी हम दूर नहीं कर पाए। सामाजिक गैर बराबरी स्वतंत्रता में बाधक है। हम नौजवानों को यदि भारत के स्वतंत्रता सेनानियों, शहीदों के सपने का भारत बनाना है तो जाति, धर्म से ऊपर उठकर शोषण, अन्याय, अनाचार के विरोध में जनमत तैयार करना होगा। सद्भाव, भाईचारा, प्रेम और सहयोग का वातावरण देश में बनाने के लिए जनता को जागृत करना होगा। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए क्रान्तिकारी, वैचारिक संस्था उत्तर प्रदेश के संयोजक अंशु ठाकुर ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी आसफ अली एडवोकेट ने ही शहीद भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त का केस लड़ा था। वह अमेरिका में भारत के पहले राजदूत थे तथा उड़ीसा के गवर्नर भी रहे। आजादी की लड़ाई में सभी धर्मों और जातियों के लोगों ने ब्रिटिश सरकार से भारत को आजाद कराने के लिए संघर्ष किया। शहादत दी लेकिन आज जाति, धर्म के नाम पर देश की जनता को बांटने का कार्य किया जाना दुर्भाग्य पूर्ण है, हमें संकल्प लेना है कि हम जाति, धर्म से ऊपर उठकर समाज में सहिष्णुता की भावना पैदा करेंगें तथा सांप्रदायिक शक्तियों को वैचारिक सम्मेलन के माध्यम से हतोत्साहित करेंगे। गोष्ठी का आयोजन माजिद ठाकरान ने व संचालन ध्रुव तिवारी ने किया। एडवोकेट वीरेन्द्र यादव, अंशु ठाकुर, साजिद चौधरी, उपेन्द्र गुप्ता, गौरव, फौजुद्दीन, पंकज शर्मा, अवनीश नागर, हेमन्त कौशिक, गोविन्द सिंह, साजिद आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में शामिल सभी साथियों ने राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्लाह खां, आसफ अली एडवोकेट के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सूबेदीन, जाहिद, वकील चौधरी, विकास शाह, शैलेन्द्र बिष्ट, राघव, सुरेन्द्र यादव, मनीष, शाहरुख खान, तनवीर, आरिफ सैफी, राशिद, इरफान, इमरान, नाजिम, वसीम, इशरार, अरशद, ताहिर, अबरार, गुलफाम, विपिन, अभिषेक, भानू, उस्मान व समीर आदि मौजूद रहे।