नई दिल्ली। देश ने एक महान खिलाड़ी को खो दिया। कोरोना संक्रमण से जूझने के बाद मिल्खा सिंह का चंडीगढ़ के पीजीआई में निधन हो गया। उनके निधन की खबर पाकर राष्टÑपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत अनेक नेताओं ने दुख व्यक्त किया है। मिल्खा सिंह को फ्लाइंग सिख के नाम से भी जाना जाता था। देश के महानगर फर्राटा धावक फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह तकरीबन एक महीने तक कोरोना से जंग लड़ते रहे। शुक्रवार की शाम उनकी हालत बिगड़ गई थी। पीजीआई के डॉक्टरों ने मिल्खा सिंह को वेंटीलेटर पर ले जाने के लिए परिजनों से कहा था जिसे परिजनों ने अस्वीकार कर दिया था। परिजनों का कहना था कि वे अंतिम यात्रा पर सुकून से जाएं, इसलिए वेंटीलेंटर पर रखने की इजाजत नहीं दी। उनका आॅक्सीजन स्तर गिर गया और उन्हें बुखार भी आ गया था। वह अंत समय तक संघर्ष करते रहे। पीजीआईएमईआर में कल रात साढ़े ग्यारह बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। मिल्खा सिंह को 3 जून को पीजीआईएमईआर के कोविड अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था और 13 जून तक वहां कोविड के लिए इलाज किया गया था। कोविड पर विजय पाने के बाद पोस्ट-कोविड जटिलताओं के कारण उन्हें आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया था। बता दें कि 13 जून को भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम की कप्तान और महान धावक मिल्खा सिंह की पत्नी निर्मल कौर का मोहाली के अस्पताल में कोविड-19 के कारण निधन हो गया था। वे पिछले महीने इस बीमारी की चपेट में आई थीं। वह 85 वर्ष की थीं और उनके परिवार में एक बेटा और तीन बेटियां हैं।
मिल्ख सिंह की तमन्ना थी कि जम्मू-कश्मीर के युवा ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीते
‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से मशहूर दिग्गज खिलाड़ी मिल्खा सिंह की तमन्ना थी कि उनके जीते जी जम्मू-कश्मीर का युवा ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीते। वह पहाड़ के युवाओं को ओलंपिक खेलों में तिरंगा फहराते हुए देखना चाहते थे। मिल्खा सिंह अक्तूबर 2018 में सुदेश राम कृष्ण ट्रस्ट की तरफ जम्मू में आयोजित मैराथन में युवाओं का हौसला बढ़ाने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने युवाओं से कई मुद्दों पर बात करते हुए नशे से दूर रहने के साथ देश के लिए खेलने को प्रेरित किया था। फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह ने गुलशन ग्राउंड से झंडी दिखाकर मैराथन को शुरू करवाया। इसके बाद वह कई बार युवाओं को जोश दिलाने के लिए उनके साथ मैदान में उतर गए थे। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर से खेलों में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। बस प्रतिभाओं को खुद को साबित करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के जीवन से प्रेरणा लेते गरीबी से जूझते, मेहनत करते हुए आगे बढ़ा जा सकता है। युवाओं का सही मार्गदर्शन करने और उन्हें आधुनिक खेल सुविधाएं उपलब्ध करवाने की जरूरत है। अगर उन्हें ये सब चीजें उपलब्ध करवा दी जाएं तो फिर उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। मिल्खा सिंह की अब सिर्फ यादें ही रह गई हैं लेकिन युवाओं में जो जोश वे भरकर गए हैं वह हमेशा याद किया जाएगा।