इस्लामाबाद। गुलाम कश्मीर की विधानसभा के लिए रविवार को मतदान होगा। 45 सदस्यों को चुनने के लिए 32 लाख से अधिक लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। गुलाम कश्मीर की विधानसभा में कुल 53 सदस्य हैं, लेकिन सिर्फ 45 का प्रत्यक्ष चुनाव होता है। पांच सीटें महिलाओं और तीन सीटें टेक्नोक्रेट के लिए आरक्षित हैं। 45 में से 33 सीटें गुलाम कश्मीर में स्थित हैं, जबकि 12 सीटें शरणार्थियों के लिए हैं जो पाकिस्तान के विभिन्न शहरों में बसे हैं।
चुनाव के दौरान शांति बनाए रखने के लिए व्यापक सुरक्षा उपाय किए गए हैं और सेना के जवानों को तैनात किया गया है। सेना ने एक बयान में कहा कि पाकिस्तानी सेना को तैनात करने का फैसला क्षेत्रीय चुनाव आयोग द्वारा औपचारिक रूप से सुरक्षा मामलों में मदद के लिए कहने के बाद लिया गया है। संविधान के अनुच्छेद 245 के अनुसार 22 जुलाई से 26 जुलाई तक सेना के जवानों को क्विक रिएक्शन फोर्स मोड पर तैनात किया जाएगा।
यहां मुख्य मुकाबला तीन बड़े राजनीतिक दलों के बीच है। गिलगिट-बाल्टिस्तान में चुनाव कराने के लिए भारत पूर्व में पाकिस्तान की आलोचना कर चुका है। भारत ने कहा कि सैन्य कब्जे वाले क्षेत्र के दर्जे में बदलाव की किसी भी कार्रवाई का कोई कानूनी आधार नहीं है। इस चुनाव में तीन प्रमुख दलों के बीच कड़ा मुकाबला है जिनमें पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआइ), पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) शामिल हैं।
इस साल अप्रैल में पाकिस्तान सरकार ने हिंसक गतिविधियों के कारण टीएलपी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) ने इस पर कार्रवाई नहीं की, जिसकी वजह से पार्टी इन चुनावों में भाग ले रही है। इन पार्टियों के अलावा जमात-ए-इस्लामी ने 28 उम्मीदवारों को नामांकित किया है; जम्मू-कश्मीर यूनाइटेड मूवमेंट ने 16 उम्मीदवारों को नामांकित किया है; जम्मू कश्मीर पीपुल्स पार्टी ने 17; जेके लिबरेशन लीग ने 12; मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट ने 11; जम्मू-कश्मीर अवामी तहरीक ने 11 और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (शहीद भुट्टो) ने 10 उम्मीदवारों को उतारा है। विभिन्न राजनीतिक दलों के अलावा, कुल 261 निर्दलीय उम्मीदवार भी पीओके में 33 निर्वाचन क्षेत्रों की दौड़ में हैं।