गाजियाबाद। राज कुमार गोयल इंस्टीट्यूट आॅफ टैक्नोलॉजी के एमबीए डिपार्टमेंट ने फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया। फैकल्टी डेवलेपमेंट प्रोग्राम का शीर्षक श्क्वालिटी रिसर्च पेपर एंड पब्लिशिंग इन हाई इम्पैक्ट जर्नल्स टिप्स एंड टैक्निक्स था। इनमें विभिन शहरों के 47 फैकल्टी मेंबर्स ने भाग लिया।इस एफडीपी के माध्यम से फैकल्टी मेंबर्स ने रिसर्च पेपर्स का एब्स्ट्रैक्ट लिटरेचर रिव्यु लिखना, रिसर्च गैप पहचाना, सटीक रिसर्च डिजाइन तैयार करना, स्टैटिस्टिकल एनालिसिस, रिजल्ट प्रीपेरशन एंड डिस्कशन व निष्कर्ष लिखना सीखा। इस एफडीपी के माध्यम से फैकल्टी और रिसर्च स्कॉलर्स को ज्यादा से ज्यादा रिसर्च करने के लिए तरीके और उसको हाई इम्पैक्ट क्वालिटी जर्नल्स में पब्लिश करने के लिए तैयार किया गया जिससे कि इंडस्ट्रीज और सोसाइटी का डेवलपमेंट किया जा सके। इस प्रोग्राम के मुख्य अतिथि डॉ. मंगेश प्रसाद कस्बेकर, प्रोफेसर- प्रोग्राम हेड, ग्लोबल एमबीए, एनल डालमिया, इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च, मुंबई, ने फैकल्टी मेंबर्स को रिसर्च के लिए प्रोत्साहित किया। एफडीपी में सम्पूर्ण भारत से फैकल्टी मेंबर्स ने भाग लिया जिसमें गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, सेंट्रल यूनिवर्सिटी, जागरण लेक सिटी बिजनेस यूनिवर्सिटी, पीजी डिपार्टमेंट आॅफ इंडस्ट्रियल रिलेशन्स- पर्सनल मैनेजमेंट बेरहामपुर यूनिवर्सिटी, हिमाचल प्रदेश, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी शिमला, विद्या स्कूल आॅफ बिजनेस मेरठ, यूनिवर्सिटी आॅफ इलाहाबाद, प्रोविडेंस कॉलेज फॉर वीमेन कूनूर, अलंकार पीजी कॉलेज राजस्थान, एम एल दहनकर कॉलेज आॅफ कॉमर्स महाराष्ट्र, डिपार्टमेंट आॅफ स्टेटिस्टिक्स यूनिवर्सिटी एंड हायर एजुकेशन मणिपुर, आचार्य पाठशाला कॉलेज आॅफ कॉमर्स बैंगलोर, थम्बल मरिक कॉलेज ओइनाम इम्फाल, एमएम पीजी कॉलेज कनखल हरिद्वार, थम्बल मरिक कॉलेज ओइनाम मणिपुर आदि ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में संस्था के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. डीएस चौहान, ग्रुप एडवाइजर डॉ. लक्ष्मण प्रसाद, डायरेक्टर डॉ. डीआर सोमशेखर, डायरेक्टर एकेडेमिक्स डॉ. विकेश चौधरीए, डीन स्टूडेंट वेलफेयर एचजी गर्ग व प्रबंधन संकाय की विभागाध्यक्ष डॉ. विभूति ने महतवपूर्ण भूमिका निभाई। इस कार्यक्रम का संचालन एमबीए फैकल्टी डॉ. आशीष सिंह, निशि पाठक, ऋचा शुक्ला, डॉ मंजूशा गोयल, हर्ष शर्मा, आशीष सिंह, यतिका रस्तोगी व संजना अग्रवाल ने किया। कार्यकम के माध्यम से फैकल्टी को रिसर्च की उपयोगिता का पता चला और उन्होंने रिसर्च की तरफ रुझान दिखाया एवं भविष्य में ज्यादा से ज्यादा रिसर्च करने के लिए उत्साहित हुए।