क्या अब ट्रंप भारत के दोस्त नहीं रहे!

कमल सेखरी
दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के दूसरी बार राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्र्रंप ने आज पहली बार अपनी सरकार के संसदीय भाषण में बोलते हुए अपने इरादों को पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है। इस बार डोनाल्ड ट्रंप पहले वाले ट्रंप नजर नहीं आ रहे हैं वो रह रहकर ऐसे फैसले ले रहे हैं जिसकी पूरे विश्व में चर्चा हो रही है। अपने इस कड़े रुख को अपनाते हुए उन्होंने भारत को भी कोई रियायत नहीं बरती है और यह साबित कर दिया है कि वो भारत के पहले जैसे मित्र नहीं है जैसा कि हम सियासी तौर पर उन्हें अपने देश में एक अच्छा दोस्त बताकर आवाम के बीच जताते आ रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने हमारे अनुरोधों के बाद भी भारत के प्रति अपनाई जा रही आयात-निर्यात कर नीति में कोई परिवर्तन नहीं किया है। उन्होंने आज अपने भाषण में स्पष्ट कर दिया है कि भारत अमेरिका के साथ आयात-निर्यात में जो कर नीति अपनाएगा वही कर नीति अपनाते हुए अमेरिका इस संबंध में अपना टैरिफ तय करेगा। अब तक यह होता था कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जो धनवान मुल्क होते हैं वो अन्य गरीब देशों के साथ इस कर नीति में काफी रियायत बरतते हैं। गरीब देश अमीर देशों पर अधिक कर वसूली तय कर सकता है जबकि अमीर देश गरीब देशों को आयात-निर्यात कर नीति में अपेक्षाकृत काफी रियायत बरतने की नीति अपनाते हैं। इस नीति के अंर्तगत भारत गरीब देशों की श्रेणी में आंका जाता है लेकिन आज अपने संसदीय भाषण में डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट कर दिया कि वो टैक्स टैरिफ को लेकर अमीर-गरीब का भेद नहीं करेंगे, जो देश अमेरिका से जैसा कर वसूलेगा वैसा ही कर अमेरिका उससे वसूलेगा। डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले से भारत की आयात-निर्यात नीति काफी प्रभावित होगी इसी के चलते भारत के शेयर बाजार में यकायक और गिरावट आ रही है। अर्थ शास्त्रियों का कहना है कि भारत का रुपया अमेरिकी डालर के मुकाबले और अधिक नीचे गिर सकता है। हमने अपने इसी स्तंभ में पहले भी लिखा है कि हम लाख कहते रहें कि डोनाल्ड ट्रंप हमारे अच्छे मित्र हैं लेकिन यह मित्रता अब वैसी नहीं रही जैसे पहले थी। हमने इसी स्तंभ में इस मित्रता के बीच आई खटास के कुछ कारण भी बताए थे। यह भी कहा जा रहा है कि पिछले दिनों अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासी भारतीयों को हथकड़ी और बेड़ियां पहनाकर जो भारत की धरती पर वापस भेजा गया वो भी इन बदलते रिश्तों की एक कड़ी है वरना अबसे पहले सामान्य प्रक्रिया के तौर पर कई बार इस तरह अप्रवासी भारतीयों को सामान्य रूप से ही भारत वापस लौटाया गया है। पहले कभी ऐसी सख्ती नहीं बरती गई। अमेरिका के राष्ट्रपति का भारत के प्रति परिवर्तित यह व्यवहार चिंता का विषय बन रहा है , हमें अमेरिका के साथ संबंधों को आगे चलाने में सतर्कता बरतनी होगी।