कोरोना महामारी को लेकर WHO की चेतावनी, आने वाले दिनों में दुनिया में तेजी से फैलेगा डेल्टा वैरिएंट

लंदन। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि डब्ल्यूएचओ ने कोरोना महामारी को लेकर दुनिया के सभी देशों को एक बार फिर से चेतावनी जारी की है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि आने वाले महीनों में कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट दुनियाभर में तेजी से फैलेगा। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि कोरोना का वैरिएंट अब लगभग 100 देशों में मौजूद है, आने वाले महीनों में अत्यधिक संक्रामक डेल्टा वैरिएंट वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस का प्रमुख वैरिएंट बन जाएगा।
कोरोना के इस वैरिएंट में तेजी को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी कि डेल्टा वैरिएंट आने वाले महीनों में कोरोना के अन्य वैरिएंट को तेजी से पछाड़ते हुए दुनिया का सबसे प्रमुख वैरिएंट बन जाएगा। डेल्टा वैरिएंट अब तक पहचाने गए वैरिएंट का सबसे अधिक संक्रामक स्वरूप है और बिना टीकाकरण वाली आबादी के बीच ये तेजी से फैल रहा है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि 96 देशों ने डेल्टा वेरिएंट के मामलों की सूचना दी है, हालांकि ये आंकड़ा कम है क्योंकि वेरिएंट की पहचान करने के लिए आवश्यक अनुक्रमण क्षमता सीमित है। इनमें से कई देश इस प्रकार के संक्रमण और अस्पताल में भर्ती होने के लिए खुद जिम्मेदार हैं।
क्या वैक्सीन की तीसरी डोज की होगी जरूरत
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में दावा किया गया है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की तीसरी डोज कोरोना के वैरिएंट्स के खिलाफ सुरक्षा देगी। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की दूसरी डोज के 6 महीने बाद बूस्टर डोज देने से शरीर में एंटीबॉडी का स्तर बढ़ जाता है। भारत में एस्ट्राजेनेका की ही वैक्सीन कोविशील्ड के नाम से लोगों को दी जा रही है।
वैसे, ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों का कहना है कि कोविड के खिलाफ वैक्सीन की दोनों डोज अच्छा काम करेंगी और तीसरे डोज की जरूरत शायद ना पड़े। अध्ययन में पाया गया है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की एक खुराक से शरीर में कम से कम एक साल तक एंटीबॉडी की ज्यादा मात्रा बनी रहती है। वहीं दो खुराक के बाद ये सुरक्षा और बढ़ जाती है।