- 1 मार्च, 2020 के बाद अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों की देखरेख महिला एवं बाल विकास विभाग करेगा: मनोज कुमार राय
गाजियाबाद। कोविड महामारी ने बच्चों को बुरी तरह प्रभावित किया है। कुछ बच्चों ने अपने माता पिता को इस महामारी में खो दिया। ऐसे बच्चों को किसी भी प्रकार के शोषण से बचाने के लिए उचित देखभाल एवं सुरक्षा की आवश्यकता है। यूनिसेफ द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में एक वर्चुअल मीडिया बैठक का आयोजन मंगलवार को किया गया। बैठक में कोविड प्रभावित बच्चों के लिए किए जा रहे प्रयासों के विषय में चर्चा की गई। बैठक में गाजियाबाद समेत पूरे प्रदेश से पत्रकारों और महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक मनोज कुमार राय ने कहा कि 1 मार्च, 2020 के बाद अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों की देखरेख की जिम्मेदारी विभाग की होगी, भले माता-पिता की मौत किसी भी कारण से क्यों न हुई हो। उन्होंने मीडिया के साथ बेहतर तालमेल के लिए जिला स्तर पर मीडिया व्हाट्सएप ग्रुप तैयार कराने की बात भी कही और बच्चों व कोरोना से प्रभावित परिवारों के बच्चों के लिए जारी हेल्पलाइन नम्बर -1098 व 181- का प्रचार प्रसार करने का अनुरोध किया। ऐसे समस्त बच्चों की सुरक्षा, उनके शारीरिक, मानसिक, शैक्षणिक और भावनात्मक विकास में समर्थन देना हमारी प्राथमिकता है। यूनिसेफ उत्तर प्रदेश की चीफ आॅफ फील्ड आॅफिस सुश्री रूथ लियनो ने कहा, कोविड महामारी ने बच्चों को बुरी तरह प्रभावित किया है। इन बच्चों को देखभाल एवं सुरक्षा की आवश्यकता है। हम सभी से अनुरोध करते हैं कि ऐसे बच्चों की जानकारी मिलते ही चाइल्डलाइन 1098 अथवा महिला हेल्पलाइन 181 को सूचित करें। प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग, सुश्री वी हेकाली झिमोमी ने कहा कि सरकार ऐसे बच्चों का पता लगाने में जुटी है। इन सभी बच्चों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। हाल ही में सोशल मीडिया पर बच्चों के दत्तक ग्रहण को लेकर बहुत सी अपील की जा रही थीं। इस प्रकार के सभी मेसेज न सिर्फ गैर कानूनी हैं बल्कि बच्चों को अपनों से दूर कर उन्हे गलत हाथों में पहुंचा सकते हैं और इससे उनके शोषण का खतरा बढ़ सकता है। उत्तर प्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कोविड प्रभावित बच्चों की सुरक्षा,संरक्षण और पुनर्वासन के लिए शासन और प्रशासन को कड़ी कार्यवाही के लिए लिखा है। आयोग द्वारा बच्चों के सामान्य उत्पीड़न, यौन उत्पीड़न, मानव तस्करी एवं कोविड काल में निराश्रित हुए बच्चों से जुड़े मुद्दों को पूरी सजगता के साथ संज्ञान में लिया जा रहा है।