गाजियाबाद। गर्भवती को हाईपर टेंशन (उच्च रक्तचाप) के कारण दौरे पड़ने लगते हैं, पेशाब में प्रोटीन आने और हाथ-पैरों में सूजन आने की स्थिति को प्रीक्लैंपसिया कहते हैं। इस स्थिति के गंभीर रूप लेने पर एक्लैंपसिया कहा जाता है। मुधमेह व रक्तचाप से पीड़ित महिलाओं को गर्भ के दौरान प्रीक्लैंपसिया का खतरा ज्यादा होता है। यह आनुवंशिक भी होता है और यदि किसी गर्भवती को पहली बार गर्भ के दौरान इस तरह की परेशानी हुई हो तो दूसरी बार भी इसकी संभावना ज्यादा रहती है। प्रीक्लैंपसिया की परेशानी न हो, इसके लिए जरूरी है कि खानपान और जीवन-शैली का ध्यान रखें। गर्भावस्था में सिर दर्द की शिकायत को गंभीरता से लें। ब्लड प्रेशर की जांच कराते रहें। यह बातें महिला रोग विशेषज्ञ और जिला महिला चिकित्सालय की चिकित्सा अधीक्षक डा. संगीता गोयल ने दी। उन्होंने बताया प्रीक्लैंपसिया के बारे में अधिक से अधिक जागरूकता के लिए 22 मई को विश्व प्रीक्लैंपसिया दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरूआत 2019 में हुई थी। इस बार तीसरा विश्व प्रीक्लैंपसिया दिवस है। इसका थीम रखा गया है, एक्ट अर्ली स्क्रीन अर्ली। यानि इस बीमारी के बारे में जल्दी जानें और जल्दी उपचार शुरू करें। जाहिर तौर अन्य सभी बीमारियों की तरह इस बीमारी पर भी यह बात पूरी तरह लागू होती है कि उपचार जितनी जल्दी शुरू होगा, परिणाम उतने बेहतर होंगे। डा. गोयल ने कहा कि डाक्टर ने यदि ब्लड प्रेशर की दवा दी है तो उसे नियमित रूप से लें। महिलाएं एक-दो दिन दवा खाकर ठीक लगने पर दवा छोड़ देती हैं। उन्होंने कहा दवा खाने से कोई नुकसान नहीं होगा लेकिन दवा न खाने से ब्लड प्रेशर बढ़ा तो बहुत नुकसान हो सकता है। प्रीक्लैंपसिया अक्सर गर्भावस्था के 20 सप्ताह यानि पांच माह पूरे होने पर होता है। इसमें रक्तचाप काफी बढ़ जाता है और हाथ-पैरों पर सूजन आने लगती है। सही देखभाल से प्रीक्लैंपसिया का उपचार संभव है, लेकिन लापरवाही से स्थिति गंभीर हो सकती है।
प्रीक्लैंपसिया के लक्षण
- गर्भवती के हाथ-पैरों में गंभीर सूजन
- सिद दर्द, पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द
- नजर धुंधली होना
- रक्तचाप बढ़ना
- धड़कन तेज होना
- यूरीन में दुर्गंध
प्रीक्लैंपसिया के कारण
- अनुवांशिक कारणों से भी हो सकता है
- मैग्नीशियम और खनिज की कमी
- सही खानपान न होने पर
- जीवनशैली सही न होने पर