ऐसा माना जाता है कि सावन में व्रत रखने से भगवान शिव जल्दी खुश हो जाते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। भोलेबाबा की भक्ति में लीन सावन मास में लोग शिवजी की अराधना करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। ठीक इसी तरह महामृत्युंजय मंत्र जाप की भी बहुत मान्यता है। यह जाप करने से अकाल मृत्यु, दुर्घटना समेत कई अन्य अनिष्ट ग्रहों के प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
महामृत्युंजय मंत्र का लाभ तब ज्यादा बढ़ जाता है अगर इसका जाप सावन के महीने में किया जाए। हालांकि, मंत्रों को जपने के लिए कुछ अलग और खास नियम होते हैं। अगर इनका पालन न किया जाए तो मंत्रों का लाभ नहीं मिलता है। किसी भी प्रकार की गलती होने से भगवान नाराज हो सकते हैं। इसी के चलते हम आपको यहां यह बताने जा रहे हैं कि महामृत्युंजय मंत्र जाप करते समय आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
महामृत्युंजय मंत्र:
ऊँ हौं जूं सः। ऊँ भूः भुवः स्वः ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।। ऊँ स्वः भुवः भूः ऊँ। ऊँ सः जूं हौं।
महामृत्युंजय मंत्र जाप के दौरान न करें ये गलती :
- महामृत्युंजय मंत्र जाप का सही उच्चारण करना बेहद आवश्यक है। इसमें कोई गलती न करें।
- इस मंत्र का जाप करते समय ध्यान रखें कि आप जिस आसन पर बैठे हों वो एकदम शुद्ध हो। धरती पर बैठकर मंत्र का जाप न करें।
- जाप करते समय अपना मुंह पूर्व दिशा की तरफ रखें।
- महामृत्युंजय मंत्र जाप के समय मन को इधर-उधर भटकने से बचाएं। एकाग्र होकर मंत्र का जाप करें।
- जाप शुरू करते समय मंत्र की संख्या को निर्धारित करें। इसके बाद हर दिन संख्या को बढ़ाते रहें। ध्यान रहे कि संख्या कम नहीं होनी चाहिए।
लाभ:
- अकाल मृत्यु के संकट टल जाते हैं।
- अगर कोई पुराना कर्ज होता है तो उससे मुक्ति मिलती है।
- ग्रहों के दुष्प्रभाव खत्म हो जाते हैं।
- पुरानी बीमारी से भी मुक्ति मिलती है।