गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में महान मनीषी, वैदिक विद्वान प.गुरुदत्त विद्यार्थी के जन्मदिन पर उनके व्यक्तित्व व कर्तित्व को स्मरण कर आॅनलाइन जूम पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। आपका जन्म 26 अप्रैल 1864 को मुल्तान(अब पाकिस्तान) में हुआ था। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि प.गुरुदत्त विद्यार्थी महर्षि दयानंद सरस्वती के अनन्य भक्त थे और स्वामी जी के 5 प्रमुख शिष्यों में गिने जाते थे । आप अपूर्व विद्वान, अदभुत वक्ता थे, वेदों पर आपकी अच्छी पकड़ थी । उन्हें हिंदी,उर्दू,अरबी फारसी भाषा का भी अच्छा ज्ञान था । महात्मा हंसराज, लाला लाजपतराय आपके सहसाथि रहे । उनकी पुस्तक द टर्मिनोलॉजी आॅफ वेदास को आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने पाठक्रम में सम्मिलित किया है। आज उनके जन्मदिन पर याद कर वेदों के प्रचार प्रसार का संकल्प लेना चाहिए। वैदिक विद्वान आचार्य गवेन्द शास्त्री ने कहा कि प.गुरुदत्त गम्भीर वक्ता थे उन्हें उपनिषदों का भी भरपूर ज्ञान था । केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के महामंत्री प्रवीन आर्य ने कहा कि दीपावली के दिन 1883 को स्वामी दयानंद सरस्वती के निर्वाण के दृश्य को देखकर उनके सोचने की दिशा ही बदल गई। आचार्य महेंद्र भाई, आनन्द प्रकाश आर्य,कृष्ण कुमार यादव,सौरभ गुप्ता,वीना वोहरा, हरिचंद स्नेही,दीप्ति सपरा ने भी अपने विचार रखे। गायिका मर्दुल अग्रवाल, जनक अरोड़ा, प्रवीना ठक्कर,रवीन्द्र गुप्ता, पुष्पा चुघ,किरण सहगल, नरेंद्र सुमन, नरेश खन्ना आदि ने मधुर गीत भजन सुनाये। आर्य समाज के प्रसिद्ध भजनोपदेशक प.ओमप्रकाश वर्मा(यमुनानगर), आर्य युवा कार्यकर्ता अजय सेठ,मनोहर लाल तलुजा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया गया।