कोलकाता, हिंट समाचार। सुप्रीम कोर्ट नारद स्टिंग कांड में बंगाल के कानून मंत्री मलय घटक की अपील पर 22 जून को सुनवाई करेगा। नारद स्टिंग मामले को सीबीआइ की विशेष अदालत से उच्च न्यायालय स्थानांतरित करने के लिए दाखिल एक याचिका में मुख्यमंत्री और कानूनी मंत्री को पक्षकार बनाया गया है।
जानकारी हो कि मलय घटक ने नारद कांड में टीएमसी नेताओं की गिरफ्तारी वाले दिन मुख्यमंत्री व अपनी भूमिका को लेकर दाखिल हलफनामे पर कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा विचार करने से इन्कार कर दिए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। न्यायमूर्ति की अवकाशकालीन पीठ ने हाईकोर्ट से सोमवार को इस मामले पर सुनवाई नहीं करने को कहा है। मालूम हो कि हाईकोर्ट ने नौ जून को नारद स्टिंग मामले को सीबीआइ की विशेष अदालत से हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने की सीबीआइ की अर्जी पर सुनवाई की थी।
गौरतलब है कि ममता व मलय पर 17 मई को चारों नेताओं की गिरफ्तारी के बाद सीबीआइ को अपना वैधानिक कर्तव्य निभाने में अड़चन डालने का आरोप लगा है। सीबीआइ ने दावा किया था कि चारों आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री कोलकाता में सीबीआइ कार्यालय में धरना देने लगीं, जहां सीबीआइ की विशेष अदालत में मामले की सुनवाई हो रही थी। गौरतलब है कि हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने नारद स्टिंग मामले में मंत्री सुब्रत मुखर्जी और फिरहाद हकीम, तृणमूल कांग्रेस के विधायक मदन मित्रा और कोलकाता के पूर्व मेयरशोभन चटर्जी को गिरफ्तार किया था।
क्या है नारद स्टिंग मामला
नारद न्यूज पोर्टल के सीईओ मैथ्यू सैमुअल ने 2014 में कथित स्टिंग आपरेशन किया था, जिसमें टीएमसी के मंत्री, सांसद और विधायक लाभ के बदले में एक काल्पनिक कंपनी के प्रतिनिधियों से कथित तौर पर धन लेते नजर आए थे। 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले नारद स्टिंग आपरेशन का वीडियो जारी कर दिया गया। मार्च, 2017 में कलकत्ता हाई कोर्ट ने स्टिंग आपरेशन की सीबीआइ जांच का आदेश दिया। इस मामलेे में सीबीआइ ने 14 लोगोंं के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी। इनमें मदन मित्रा, मुकुल रॉय (अब भाजपा में), सौगत रॉय, सुलतान अहमद (2017 में निधन), इकबाल अहमद, काकोली घोष दस्तीदार, प्रसून बंदोपाध्याय, सुवेंदु अधिकारी (अब भाजपा में), शोभन चटर्जी (अब किसी दल में नहीं), सुब्रत मुखर्जी, फिरहाद हकीम, अपरूपा पोद्दार, आइपीएस अधिकारी सैयद हुसैन मिर्जा तथा कुछ अज्ञात लोगों का नाम शामिल था।