नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से फिर भरोसा दिलाया गया कि परिसीमन होते ही चुनाव होंगे और सही वक्त आते ही पूर्ण राज्य का दर्जा भी मिल जाएगा। संवाद की इस शुरुआत के साथ ही प्रधानमंत्री ने भरोसा दिलाया अब न दिल्ली की दूरी होगी और न दिल की दूरी। बैठक के बाद सभी ने विश्वास जताया कि यह कश्मीर के लिए अच्छा होगा। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 खत्म किए जाने के बाद से रुका हुआ संवाद शुरू हुआ तो तेज गति से आगे बढ़ा।
दरअसल इस बैठक के लिए कोई एजेंडा तय नहीं किया गया था बल्कि सभी को यह अवसर दिया गया कि वे जो भी चाहें कहें। इसका असर भी दिखा। सभी ने माना कि बैठक बहुत अच्छे माहौल में हुई। मोटे तौर पर जो मुख्य मांगें आईं और खुद सरकार भी सकारात्मक दिखी उसमें परिसीमन और पूर्ण राज्य का दर्जा था।
जम्मू-कश्मीर में हाल में हुए जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), नेशनल कांफ्रेस समेत गुपकार गठबंधन के दलों ने भले ही अनुच्छेद-370 की वापसी की बात उठाई हो, लेकिन सच्चाई यह है कि अब वे भी मान चुके हैं कि इसकी वापसी नहीं हो सकती। प्रधानमंत्री ने राज्य में हो रहे विकास कार्यो पर संतोष जताया और कहा कि जम्मू-कश्मीर के युवाओं को अवसर देने का वक्त आया है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार मुक्त शासन हो।
मालूम हो कि पीडीपी और नेशनल कांफ्रेस जैसे जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री के साथ गुरुवार को हुई बैठक में यह बात उठाई तो जरूर, लेकिन नेशनल कांफ्रेस ने साफ कर दिया कि वह कोई गैरकानूनी कदम नहीं उठाएगी, जो भी लड़ाई लड़नी होगी वह कानूनी रूप से लड़ेगी। साढ़े तीन घंटे चली बैठक में, मांग विधानसभा चुनाव और पूर्ण राज्य के दर्जे पर केंद्रित रही। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की ओर से राजनीतिक बंदियों को छोड़ने की भी बात कही गई। उनकी ओर से तीन दशकों के दौरान जम्मू-कश्मीर छोड़ चुके कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए हर प्रयास करने की भी मांग हुई।
पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ज्यादा मुखर थीं और उन्होंने कहा कि अनुच्छेद-370 को जिस तरह हटाया गया उसके खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा। वह पाकिस्तान से बातचीत का मुद्दा भी उठा गईं।
सभी के बोलने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वह पहले ही कह चुके हैं कि राज्य में चुनाव भी होगा और उसे पूर्ण राज्य का दर्जा भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि पूर्ण राज्य का दर्जा देने में चुनाव अहम कदम साबित होंगे। संकेत साफ था कि पूर्ण राज्य के दर्जे का फैसला चुनाव बाद होगा। दरअसल, आजाद ने चुनाव से पहले ही पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की थी।