कोरोना वैक्सीन को लेकर पूरे भारत में हाहाकार सी मचती नजर आ रही है। कुछ सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों को छोड़कर अधिकांश सरकारी अस्पतालों में भी कोरोना वैक्सीन लगभग नदारद सी हो गई है। देश के अधिकांश प्रदेशों में जहां-जहां भी निजी क्षेत्र के अस्पतालों में कोरोना वैक्सीन लगाई जा रही थी वहां अधिकांश स्थानों पर वैक्सीन की सप्लाई रोक दी गई है। जिला स्तर के बड़े सरकारी अस्पतालों में भी पंजीकरण की प्रक्रिया तो चल रही है लेकिन वैक्सीन कहीं भी 150 से अधिक संख्या में नहीं लगाई जा रही है। उत्तर प्रदेश, महाराष्टÑ, राजस्थान, पंजाब व दिल्ली सहित देश के अधिकांश राज्यों में कोरोना वैक्सीन का अचानक अभाव बन गया है। गत माह एक मार्च से आरंभ हुए टीकाकरण अभियान जिसमें 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को टीका लगाया जा रहा था, उन्हें 28 दिन बाद उसी वैक्सीन का जो दूसरा टीका लगना था उसकी समय अवधि अब सरकार ने बढ़ाकर 60 दिन कर दी है। बताया जाता है कि यह निर्णय पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध न होने के कारण ही लिया गया है वहीं दूसरी ओर गत सप्ताह एक अप्रैल से 45 वर्ष से अधिक लोगों के लिए जो टीकाकरण का अभियान शुरू हुआ था उस पर भी अधिकांश राज्यों के कई शहरों में टीका उपलब्ध न होने के कारण रोक सी लग गई है। पिछले 4-5 दिनों से हजारों की संख्या में टीका लगवाने के इच्छुक लोग बिना टीका लगवाए ही टीकाकरण केन्द्रों से वापस लौट रहे हैं। हालांकि कोई राष्टÑीय टीवी चैनल इस हकीकत पर खुलकर चर्चा नहीं कर रहा है लेकिन यह सत्य है कि अधिकांश गैर भाजपा राज्यों की सरकारों ने अचानक आई इसी मुसीबत पर शोर मचाना शुरू कर दिया है। दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के कई मंत्रियों सहित आम कार्यकर्ताओं ने कल दिल्ली में अपनी प्रतिक्रियाएं जाहिर की है। इन लोगों के आरोप हैं कि भारत सरकार ने वाहवाही लूटने के लिए 70 से अधिक देशों में कोरोना वैक्सीन का बड़ी संख्या में निर्यात किया है जबकि अपने देश में आबादी के पांचवें हिस्से को भी टीका लगाने के लिए वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। कांग्रेस ने तो यह भी आरोप लगाया है कि भारत में अभी तक जितना टीकाकरण हुआ है उससे कहीं अधिक सरकार ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान सहित छह दर्जन से अधिक मुल्कों को इसका निर्यात किया है। बताया जाता है कि भारत में वैक्सीन बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट की भागेदारी कंपनी ‘एस्ट्रा जेनेका’ ने कानूनी नोटिस देकर यहां हो रहे धीमे उत्पादन पर अपनी नाराजगी जताई है। सीरम कंपनी के मुखिया अदार पूना वाला ने अब एक नई बात कही है जिसके मुताबिक कोरोना के पहले टीके और दूसरे टीके के बीच 90 दिन का अंतर रखना अधिक लाभदायक होगा। इस संबंध में लोगों का कहना है कि उत्पादन कम होने के कारण ही ऐसी बातों को सामने रखा जा रहा है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी ने भी एक बयान जारी कर यह कहा है कि कोरोना वैक्सीन की काफी कमी है और उनके पास भंडारण में टीके खत्म हो गए हैं। अब जब कोरोना देश में अपने दुष्प्रभावों की चरमता को छू रहा है और चारों तरफ तूफानी गति से फैल रहा है, ऐसे में कोरोना वैक्सीन का अचानक खत्म हो जाना पूरे देश के लिए चिंता का विषय बन गया है। ऐसे में हजारों बड़े राजनेता चुनावी रैलियों पर अपना समूचा ध्यान केन्द्रित किए बैठे हैं तो नि:संदेह देश के लिए यह और भी अधिक चिंता की बात है। कोरोना की जो स्थिति बनती जा रही है उसे देखते हुए यह जरूरी होगा कि हर उम्र के लिए टीकाकरण एकदम से खोल दिया जाए, यदि ऐसा हुआ तो हालात बेकाबू हो जाएंगे।