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अंतरिक्ष की सैर कर लौटे ब्रेनसन छह यात्रियों में एक भारत की बेटी भी

नई दिल्‍ली। वजिर्न ग्रुप के संस्थापक रिचर्ड ब्रेनसन रविवार को अंतरिक्ष की सैर करके सुरक्षित वापस लौट आए। वजिर्न गैलेक्टिक के यूनिटी रॉकेट प्लेन के माध्यम से वह अंतरिक्ष के किनारे तक गए। भारत की शिरिषा बांदला भी ब्रेनसन के साथ अंतरिक्ष गई थीं। आंध्र प्रदेश के गुंटूर में जन्मीं और टेक्सास के ह्यूस्टन में पली-बढ़ीं शिरिषा ने ब्रेनसन और पांच अन्य सदस्यों के साथ न्यू मेक्सिको से अंतरिक्ष के सिरे तक का सफर किया।

मालूम हो कि वजिर्न समूह ने अपने आधिकारिक इंटरनेट मीडिया अकाउंट पर बताया कि पहले शाम 6:30 बजे उड़ान भरनी थी, लेकिन खराब मौसम के चलते लांचिंग का वक्त डेढ़ घंटे आगे बढ़ा दिया गया। उनके इस सफर को देखने के लिए टेस्ला के सीईओ एलन मस्क भी पहुंचे थे।

भारत की शिरिषा बांदला भी ब्रेनसन के साथ अंतरिक्ष गई थीं। सुनीता विलियम्स और कल्पना चावला भी अंतरिक्ष में जा चुकी हैं। आंध्र प्रदेश के गुंटूर में जन्मीं और टेक्सास के ह्यूस्टन में पली-बढ़ीं शिरिषा ने ब्रेनसन और पांच अन्य सदस्यों के साथ न्यू मेक्सिको से अंतरिक्ष के सिरे तक का सफर किया। वर्जिन गैलेक्टिक पर बांदला के प्रोफाइल के मुताबिक उनकी यात्री संख्या 004 थी और उड़ान के दौरान उन्होंने अंतरिक्ष यात्रियों पर होने वाले असर का अध्ययन किया।

इस अंतरिक्ष यात्र ने नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। इसकी सफलता ने ब्रेनसन के अंतरिक्ष की सैर कराने वाले व्यावसायिक सपने को पंख लगा दिए हैं। वर्जिन गैलेक्टिक का एक रॉकेट प्लेन 2014 में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
चालक दल और यात्री’ वर्जिन गैलेक्टिक के अंतरिक्ष यान ने छह यात्रियों के साथ उड़ान भरी थी, जिसमें दो चालक दल और चार यात्री शामिल थे।’ बेजोस के ब्लू ओरिजिन का कैप्सूल छह यात्रियों को ले जा सकता है। यह बिना किसी सहायता के उड़ान भर सकता है। स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल सात को ले जा सकता है।

बेजोस, ब्रेनसन और मस्क अपने अंतरिक्ष स्टार्टअप में अरबों डॉलर का निवेश कर रहे हैं। ब्रेनसन के वर्जिन गैलेक्टिक के पास पहले से ही 600 से अधिक टिकट बुक हो चुके हैं, जिसकी कीमत लगभग 250,000 अमेरिकी डॉलर (1 करोड़ 86 लाख रुपये से अधिक) है। कंपनी को उम्मीद है कि वह 2022 में एक पूर्ण वाणिज्यिक सेवा शुरू कर देगी। अगर ऐसा होता है तो भविष्य में टिकट की कीमत लगभग 40,000 डॉलर तक कम हो सकती है।

मालूम हो कि सिर्फ पांच साल तक भारत में रहीं हैं शिरिषा। भारत में शिरिषा केवल पांच साल तक ही रही हैं। उन्होंने पड्रर्यू यूनिवर्सिटी से एयरोनॉटिकल/एस्ट्रोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक के बाद जॉर्जटाउन यूनिवर्सटिी से एमबीए की डिग्री ली है। वे बचपन से ही अंतरिक्ष जाना चाहती थीं लेकिन दृष्टि कमजोर होने से वे पायलट नहीं बन सकीं।

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